भारत में दलहनी फसलों का उत्पादन और खपत दोनों ही ज़्यादा है। भारत में दलहनी फसलें, जैसे कि मसूर, तूर (अरहर) और मूंग, आहार में प्रोटीन का मुख्य स्रोत हैं। इनका उपयोग विभिन्न प्रकार के व्यंजनों में किया जाता है, जो भारतीय खानपान का अभिन्न अंग है। दुनियाभर में मसूर का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक होने के बावजूद भारत वर्तमान में भी अपनी घरेलू आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए मुख्य रूप से ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, रूस, सिंगापुर और तुर्की पर निर्भर रहना पड़ता है। इसके पहले हमने भारत में तूर दाल उत्पादन और तूर दाल व्यापार के बारे में ब्लॉग लिखें हुए हैं। इस ब्लॉग में हम भारत सबसे बड़ा मसूर उत्पादक देश बनने की संभावनाओं के बारे में चर्चा करेंगे।
मसूर उत्पादन में वृद्धि की संभावनाएं
इस वृद्धि का मुख्य कारण खेती के अधिक क्षेत्रफल में वृद्धि है। उपभोक्ता मामलों के सचिव रोहित कुमार सिंह के अनुसार, इस साल लगभग 1.6 मिलियन टन मसूर के उत्पादन का अनुमान है। अगर भारत इस अनुमान पर खरा उतरता है, तो वह विश्व का सबसे बड़ा मसूर उत्पादक देश बन जाएगा, जो अभी तक कनाडा और ऑस्ट्रेलिया के बीच प्रतिस्पर्धा में है। इससे न केवल भारत की खाद्य सुरक्षा में सुधार होगा, बल्कि इससे आयात पर निर्भरता भी कम होगी। भारत के मसूर उत्पादन में वृद्धि और इसके विश्व में सबसे बड़े उत्पादक के रूप में उदय की संभावना न सिर्फ कृषि क्षेत्र के लिए बल्कि देश की आर्थिक स्थिरता के लिए भी महत्वपूर्ण है।
मसूर के मंडी रेट और एमएसपी
साल 2017-18 में 4,250 रुपये प्रति क्विंटल था, जो साल 2023-24 में बढ़कर 6,425 रुपये प्रति क्विंटल हो गया। वर्तमान में जनवरी 2024 तक मसूर का मंडी रेट लगभग 6,100- 6,125 रुपये प्रति क्विंटल था, जो एमएसपी से नीचे था। जबकि कुछ महीने पहले यह 7,500- 8,000 रुपये प्रति क्विंटल के आसपास था। चालू सीजन में मसूर का रकबा 19.45 लाख हेक्टेयर था, जो पिछले साल की इसी अवधि के 18.39 लाख हेक्टेयर था, जो 6 प्रतिशत अधिक है। विशेषज्ञों के अनुसार कनाडा ने 1.67 मिलियन टन मसूर उत्पादन का अनुमान लगाया गया था, लेकिन उसने इसे लगभग 30 प्रतिशत कम कर दिया गया है। ऐसे में भारत दुनिया सबसे बड़ा मसूर का उत्पादन करने वाला देश बन सकता है।
आत्मनिर्भरता की दिशा में प्रयास
भारत सरकार ने दिसंबर 2027 तक देश को दलहन में आत्मनिर्भर बनाने का लक्ष्य रखा है। इसके लिए उत्पादन बढ़ाने के साथ-साथ आयात पर निर्भरता कम करने के उपाय किए जा रहे हैं। चना उत्पादन के मामले में भारत आत्मनिर्भर हैं। हमारे देश में चने का उत्पादन खपत से ज़्यादा है। लेकिन उड़द और तूर का उत्पादन डिमांड के मुकाबले कम है। हालांकि, सरकार किसानों को मसूर की खेती करने के लिए प्रेरित भी कर रही है। साथ ही हर साल एमएसपी में बढ़ोतरी भी कर रही है।
बीजक व्यापार ऐप की भूमिका
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