सोयाबीन के व्यापार में भारत एक महत्वपूर्ण खिलाड़ी बन चुका है। विकासशील कृषि प्रौद्योगिकियों के कारण सोयाबीन की खेती में हो रही बढ़ोतरी और उन्नत उत्पादन तकनीकें, सोयाबीन के व्यापार की वृद्धि में महत्वपूर्ण योगदान दे रहे हैं। पिछले ब्लॉग में हमने भारत के सोयाबीन उत्पादन के बारे में जानकारी प्राप्त की थी। इस ब्लॉग में हम भारत में सोयाबीन के व्यापार, दुनियाभर में सोयाबीन व्यापार का प्रभाव, सोयाबीन का आयात-निर्यात और कई पहलुओं को विस्तार से जानेंगे।
दुनियाभर में सोयाबीन का व्यापार
सोयाबीन का इस्तेमाल केवल तेल बनाने में ही नहीं, बल्कि पशु खाद्य, पशु चारा, दूध (सोया मिल्क), पनीर (टोफू), बिस्कुट, और अन्य खाद्य पदार्थों के लिए भी किया जाता है। पौष्टिकता से भरपूर फसल, सोयाबीन न केवल भारत में बल्कि दुनियाभर में होने वाले व्यापार का महत्वपूर्ण हिस्सा बन चुका है। इसका मुख्य कारण इसकी बढ़ती मांग है। वर्तमान समय में, विभिन्न देशों में सोयाबीन का उत्पादन, उपयोग और व्यापार किया जा रहा है। दुनिया के कुछ मुख्य सोयाबीन उत्पादक देश अमेरिका, ब्राज़ील, अर्जेंटीना और चीन हैं।
भारत में सोयाबीन का व्यापार
भारतीय कृषि के लिए सोयाबीन एक वरदान साबित हो सकता है क्योंकि, भारत जीएम मुक्त (Genetically modified free) सोयाबीन का उत्पादन करता है जिसकी वैश्विक बाज़ार में काफ़ी मांग है। दूसरा, धान की फसल की तुलना में सोयाबीन के उत्पादन में पानी की भी कम ज़रूरत होती है। पूरे भारत के करीब 90 प्रतिशत सोयाबीन फसल का उत्पादन मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र में ही होता है। देश की बड़ी शाकाहारी आबादी को देखते हुए, सोयाबीन की घरेलू बाजार में डिमांड बढ़ने की काफी संभावनाएं हैं।
ग्लूटेन-फ्री पौष्टिक भोजन के रूप में सोयाबीन की काफ़ी अधिक क्षमता है। लेकिन भारत में यह फसल मुख्य रूप से तेल उद्योग की ज़रूरतों को पूरा करने के लिए इस्तेमाल की जाती है। सोयाबीन से तेल निकाले जाने के बाद उसके छिलके का इस्तेमाल मुख्यत: डली बनाने के लिए किया जाता है। देश में उगाए जाने वाले सोयाबीन के सिर्फ एक तिहाई हिस्से को सोयाबीन के दूध और टोफू में प्रसंस्कृत (प्रोसेस) किया जाता है।
सोयाबीन की सर्वाधिक बिकने वाली किस्में
भारत में कई प्रकार की सोयाबीन की किस्में उगाई जाती हैं, लेकिन कुछ किस्में विशेष रूप से प्रसिद्ध हैं और सर्वाधिक बिकती हैं। इनमें से “JS 335”, “JS 9305”, “JS 9560”, और “एनएच 1010” शामिल हैं। ये किस्में बाज़ार में अधिक मांग के कारण प्रसिद्ध हैं और उचित उपज मिलने के कारण इन्हें व्यापारिक दृष्टिकोण से भी प्राथमिकता दी जाती है।
सोयाबीन का निर्यात
वियतनाम, बांग्लादेश और नेपाल जैसे देशों की बढ़ती मांग के कारण वर्ष 2022-23 की अक्टूबर-फरवरी अवधि के दौरान भारत का सोयाबीन निर्यात 87 प्रतिशत की बढ़त के साथ 7.99 लाख टन (लीटर) हो गया है। पिछले साल इसी अवधि के दौरान इसका निर्यात 4.26 फीसदी था। अर्जेंटीना जैसे देशों में सोयाबीन उत्पादन में मौसम सम्बंधित रुकावटें होने की वजह से भी भारत में सोयाबीन की मांग बढ़ रही है। 3.36 लाख टन सोयाबीन ख़रीदने के साथ वियतनाम भारतीय सोयाबीन का अब तक का सबसे बड़ा खरीदार है। इसके बाद 64,759 टन ख़रीदी के साथ नेपाल और 42,796 टन ख़रीदी के साथ अमेरिका है।
सोयाबीन व्यापार में भारत के लिए अवसर
सोयाबीन का व्यापार भारत और विश्व भर में व्यापक रूप से बढ़ रहा है, जिसमें तकनीकी विकास, बाज़ार मांग, और उत्पादन में सुधार का महत्वपूर्ण योगदान है। नए दिशानिर्देशों के साथ, सोयाबीन के व्यापार में और भी वृद्धि की उम्मीद है जो कि कृषि और व्यापारिक समृद्धि के लिए महत्वपूर्ण है।
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