सोयाबीन एक पौष्टिक खाद्य फसल के तौर पर भारत में उगाई जाने वाली मुख्य फसलों में से एक है। यह फसल न केवल प्रोटीन का स्रोत है, बल्कि चारा, तेल, और खाद्य उत्पादों में भी उपयोग होती है। देश के कुल खाद्य तेल उत्पादन में सोयाबीन का योगदान 22 प्रतिशत है। कृषि विशेषज्ञों के अनुसार खाद्य तेल के उत्पादन में आत्मनिर्भर बनने के लिए सोयाबीन का काफी योगदान हो सकता है लेकिन देश में इसकी कम उत्पादकता होना इस राह की सबसे बड़ी चुनौती है। इस ब्लॉग में हम भारत में सोयाबीन के उत्पादन, प्रमुख सोयाबीन उत्पादक राज्य, सोयाबीन के प्रमुख सीज़न, उगाई जाने वाली किस्में, और सोयाबीन उत्पादन में हुई वृद्धि के बारे में विस्तार से चर्चा करेंगे।
भारत में सोयाबीन का उत्पादन
सोयाबीन के प्रमुख सीज़न होते हैं – खरीफ (जून से सितंबर) और रबी (अक्टूबर से जनवरी)। यह फसल गर्मियों और सर्दियों में उगाई जाती है। भारत में सोयाबीन का उत्पादन मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, राजस्थान, कर्नाटक, तेलंगाना, गुजरात, छत्तीसगढ़, बिहार, उत्तर प्रदेश और नागालैंड में होता है। देश की प्रमुख तिलहन फसल, सोयाबीन के उत्पादन में नंबर वन होने का ताज पहले मध्य प्रदेश के पास था। लेकिन अब सोयाबीन उत्पादन में महाराष्ट्र नंबर वन बन गया है।
कृषि लागत एवं मूल्य आयोग की एक रिपोर्ट के अनुसार देश के कुल सोयाबीन उत्पादन में महाराष्ट्र की हिस्सेदारी अब 45.35 फीसदी हो गई है जबकि मध्य प्रदेश का योगदान अब सिर्फ 39.83 फीसदी ही रह गया है। यह आंकड़ा 2021-22 का है, जबकि 2017-18 में सोयाबीन के उत्पादन में मध्य प्रदेश की कुल हिस्सेदारी [53.68] फीसदी थी और महाराष्ट्र सिर्फ 33.51 फीसदी पर ही अटका हुआ था।
इसका मुख्य कारण मध्य प्रदेश में पिछले कुछ समय में अधिक बारिश होना है। इससे सोयाबीन की फसलों को काफी नुकसान हुआ है। दूसरी ओर, महाराष्ट्र के किसान कपास का उत्पादन कम करके सोयाबीन का उत्पादन बढ़ा रहे हैं। उनका मानना है कि सोयाबीन उत्पादन में लागत कम है, इसके दाम भी अच्छे मिलते हैं और साथ ही इसमें ज़्यादा पानी की आवश्यकता नहीं होती है। जहाँ कपास उगने में 150 दिन लगते हैं, सोयाबीन 100 दिन में तैयार हो जाता है।
भारत में सोयाबीन उत्पादन में वृद्धि
भारत में सोयाबीन का उत्पादन वर्ष 2021-22 में 119 लाख टन और वर्ष 2020-21 में 104.50 लाख टन था। सोयाबीन अनुसंधान संस्थान के अनुसार साल 2022-23 में भारत में [12.07] मिलियन हेक्टेयर में सोयाबीन की खेती हुई है। देश में इस साल करीबन 124 लाख टन सोयाबीन का उत्पादन हुआ है।
भारत में सोयाबीन की किस्में
भारत में सोयाबीन की कई प्रकार की किस्में उगाई जाती हैं जैसे कि JS 335, JS 9305, JS 9560, और एनएच 1010। ये किस्में विभिन्न खेतीकरण प्रौद्योगिकियों के साथ-साथ उपयोगकर्ताओं की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए भी विकसित की गई हैं।
सोयाबीन का तेल उत्पादन में योगदान
भारतीय सोयाबीन अनुसंधान संस्थान के अनुसार वर्तमान में सोयाबीन देश में कुल तिलहन फसलों का 42 प्रतिशत और कुल खाद्य तेल उत्पादन में 22 प्रतिशत का योगदान दे रहा है। भारत में जनसंख्या में वृद्धि होने के साथ-साथ खाद्य तेल की मांग भी बढ़ रही है। विभिन्न तिलहन फसलों द्वारा सिर्फ 40 फीसदी मांग को ही पूरा किया जा रहा है। खाद्य तेलों की बाकी 60 प्रतिशत मांग आयात द्वारा पूरी की जा रही है। इसलिए सोयाबीन देश के लिए बेहद महत्वपूर्ण है।
भारत में सोयाबीन के उत्पादन में हुई वृद्धि एक महत्वपूर्ण विकास है।विभिन्न क्षेत्रों में नई किस्मों की खेतीकरण प्रौद्योगिकियों के प्रयोग से और किसानों को समर्थन प्रदान करके सोयाबीन के उत्पादन में वृद्धि हो रही है। सोयाबीन शोधकर्ताओं के सामने सोयाबीन जैसी फसल की कम उत्पादकता एक बहुत बड़ी चुनौती है।
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