भारतीय मंडी व्यापार प्रणाली को समझें

भारतीय मंडी व्यापार प्रणाली को समझें

भारतीय कृषि क्षेत्र के लिए मंडी प्रणाली अहम है। भारतीय मंडी व्यापार प्रणाली कृषि क्षेत्र की विशाल सप्लाई चेन की गतिशीलता को दर्शाती है। विश्व बैंक की एक रिपोर्ट के अनुसार, देश की लगभग 66% आबादी ग्रामीण क्षेत्रों में रहती है जिससे यह कहा जा सकता है कि भारत की ग्रामीण अर्थव्यवस्था है। भारत की 58% आबादी के लिए कृषि क्षेत्र कमाई का प्राथमिक स्रोत है। इसमें से कुछ हिस्सा उन किसानों का है जिनके पास 1 हेक्टेयर से कम ज़मीन है। वास्तव में, केवल 6% किसानों को ही एमएसपी (MSP) का लाभ मिलता है। इसलिए इस क्षेत्र में किसानों और अन्य हितधारकों के लिए लाभदायक आजीविका सुनिश्चित करने में मंडियों की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। कृषि क्षेत्र से बाहर के लोग भारतीय मंडी व्यापार प्रणाली के घटकों और प्रमुख हितधारकों के बारे में नहीं जानते हैं। इस ब्लॉग में हमने आसान शब्दों में भारतीय कृषि व्यापार प्रणाली को समझाने की कोशिश की है।

मंडियों का परिचय

भारतीय मंडी व्यापार प्रणाली को समझें
नई दिल्ली में आजादपुर फल मंडी

सबसे बुनियादी स्तर पर देखा जाए तो मंडी एक तरह का बाजार होता है जहाँ किसान अपनी उपज बेचते हैं। ज्यादातर किसान अपने जल्दी खराब होने वाले उत्पादों को आस-पास की मंडियों में बेचना पसंद करते हैं। इससे उनका परिवहन खर्च बच जाता है और वे अपनी उपज को ताजा बेच पाते हैं। कई रिपोर्ट के अनुसार, भारत में भूगोल के आधार पर 2477 प्रमुख विनियमित बाजार (एपीएमसी) और संबंधित कृषि उपज बाजार समितियों (एपीएमसी) द्वारा विनियमित 4843 उप-बाजार हैं।

एपीएमसी इस प्रक्रिया में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। वह निर्धारित मंडियों में नीलामी की सुविधा प्रदान करती है ताकि किसान, सप्लायर और लोडर आसानी से खरीदारों को अपने उत्पाद बेच सकें। एपीएमसी अधिनियम के अनुसार, स्थापित एपीएमसी द्वारा लाइसेंस प्राप्त कमीशन एजेंट के माध्यम से ही किसी क्षेत्र में उत्पादित कृषि उत्पादों जैसे अनाज, दालें, खाद्य तिलहन, फल और सब्जियां और यहां तक कि चिकन, बकरी, भेड़, चीनी, मछली आदि की पहली बिक्री आयोजित की जा सकती है।

केवल लाइसेंस प्राप्त व्यापारियों और कमीशन एजेंटों को ही व्यापार प्रक्रिया का हिस्सा बनने की अनुमति होती है। यहाँ यह बताना भी जरूरी है कि हर व्यापार मंडी ढांचे के अनुसार कुछ नियमों के आधार पर किया जाता है। एपीएमसी की स्थापना के लिए राज्य जिम्मेदार होते हैं। वे ही मंडियों में व्यापार के लिए नियम बनाते हैं।

भारत के कृषि विपणन में मंडियों की भूमिका

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बेंगलुरू सब्जी मंडी में एक ट्रक से उपज के बोरे खाली करते मजदूर

मंडियां भारतीय कृषि विपणन श्रृंखला का अभिन्न अंग हैं। मंडियों में ही किसान और खरीदार आपस में मिलते हैं और उन्हें बाजारों तक पहुंच प्रदान होती है। मंडियों में नीलामी की सुविधा किसानों को उनकी उपज का उचित मूल्य दिलवाती है। सरल शब्दों में कहें तो मंडी एक ऐसा मंच है, जहाँ कृषि मंडी व्यापार की गतिविधियां होती हैं।

हम सभी जानते हैं कि उत्पादों की नीलामी करने पर बेहतर कीमत मिलने की संभावना बढ़ जाती है। अगर मंडियां नहीं होती, तो किसान अपनी उपज की नीलामी नहीं कर पाते। इससे उनकी तकलीफ बढ़ सकती थी। साथ ही, गाँव के व्यापारियों और बिचौलियों से निपटने में किसानों को उनकी उपज का सही भाव नहीं मिल पता था। इसी वजह से मंडियां कृषि पारिस्थितिकी तंत्र का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। नीचे दिए गए पांच मुद्दे आपको मंडी प्रणाली के महत्व के बारे में जानकारी देंगे:

  • मंडी, व्यापार करने के लिए एक विनियमित जगह प्रदान करती है
  • भारत की फूड सप्लाई चेन की गतिशीलता को दर्शाती है
  • कृषि विपणन संरचना प्रदान करती है
  • किसानों को नए बाजारों तक पहुंचने की सुविधा देती है
  • संभावित खरीदारों से मिलने के लिए एक मजबूत मंच प्रदान करती है

मंडी हितधारक

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राजस्थान की करनपुर मंडी में दालों की नीलामी के लिए जुटे हुए व्यापारी

1. किसान: वे कृषि विपणन श्रृंखला में प्रमुख हितधारक हैं। उनके पास उपज को किसी को भी बेचने का विकल्प होता है, लेकिन उचित मूल्य पाने के उद्देश्य से वे अपनी उपज को मंडियों तक ले जाते हैं।

2. कमीशन एजेंट: वे किसानों और व्यापारियों के बीच एक महत्वपूर्ण कड़ी हैं। वे किसानों को बेहतर सौदा करने में मदद करते हैं और बदले में वे उनसे एक निश्चित प्रतिशत शुल्क (कमीशन) लेते हैं। कमीशन एजेंट के बारे में यहाँ और पढ़ें।

3. व्यापारीः वे क्रेता होते हैं जो मंडी में पंजीकृत होते हैं। वे किसानों द्वारा मंडियों में लाए गए कृषि उत्पाद को खरीदने के लिए नीलामी में बोली लगाते हैं। वे थोक व्यापारी, खुदरा विक्रेता या निर्यातक हो सकते हैं।

4. एपीएमसी कर्मचारी: वे व्यापार की निगरानी करते हैं और एक निष्पक्ष और पारदर्शी नीलामी प्रक्रिया सुनिश्चित करने का प्रयास करते हैं। उनका लक्ष्य उत्पादों की खरीदारी और बिक्री को सक्षम बनाना है।

मंडी में एक दिन

ज्यादातर जगहों पर मंडी की गतिविधियां सुबह जल्दी शुरू हो जाती हैं। आम तौर पर लोगों को वहां सुबह 4 बजे ही देखा जा सकता है। सुबह से ही ट्रक आने लगते हैं और माल उतारने की होड़ मच जाती है। कुछ मंडियों में छंटाई, ग्रेडिंग और पैकिंग की सुविधा भी है। नीलामी का काम आमतौर पर कमीशन एजेंट करते हैं। चूंकि वे व्यापार में मध्यस्थ के रूप में कार्य करते हैं, इसलिए वे हर सौदे के लिए एक निश्चित कमीशन प्रतिशत लेते हैं।

उत्पादों की कीमतों की बात करें तो यह डिमांड और सप्लाई पर निर्भर करता है। जब किसी उत्पाद की सप्लाई अधिक होती है तो कीमतें कम रहती हैं। दूसरी ओर, जब सप्लाई की कमी होती है तो कीमतें बढ़ जाती हैं। यह एक नियमित प्रक्रिया है जिसके तहत किसान अपनी उपज मंडियों में लाते हैं और नीलामी के माध्यम से व्यापारियों को उत्पाद बेचते हैं। प्याज, आलू, अनाज आदि जैसे उत्पादों की शेल्फ लाइफ लंबी होती है और इन्हें मंडियों या नामित स्टोरेज एरिया में संग्रहित किया जाता है, जिन्हें बाद की तारीख में बेहतर कीमत पर बेचा जा सकता है।

भारतीय मंडी व्यापार प्रणाली में एपीएमसी की भूमिका

APMC एक विपणन बोर्ड है जिसे राज्य सरकारों के तहत स्थापित किया गया है। इसकी मुख्य जिम्मेदारी किसानों को शोषण से बचाना और कृषि उपज की विनियमित बिक्री सुनिश्चित करना है। यह भारत में कृषि विपणन को सुव्यवस्थित करने के लिए एक प्रणाली का गठन करता है। यह लगभग हर राज्य में मौजूद है।

एपीएमसी के संचालन की बात करें तो यह सरल और सहज है। किसान उपज को बाजार में लाते हैं और नीलामी के माध्यम से उनके उपज की बिक्री की जाती है। राज्यों के विभिन्न क्षेत्रों में मंडियां स्थापित की जाती हैं। साथ ही मंडियों में व्यापारियों के लिए लाइसेंस जारी किए जाते हैं ताकि व्यापार के दौरान कोई गलत काम न हो सके। मंडियों के बाहर थोक व्यापारियों और खुदरा व्यापारियों को मंडी प्रक्रियाओं में भाग लेने की अनुमति नहीं है। इसकी वजह से उपज का बेहतर दर सुनिश्चित किया जाता है और अनियमितताओं पर नियंत्रण रखा जाता है।

हमें उम्मीद है कि अब आपको मंडियों में शामिल प्रमुख हितधारकों और प्रक्रियाओं का अंदाजा हो गया होगा। भारतीय मंडी प्रणाली के सामने आने वाली चुनौतियों पर हमारे अगले ब्लॉग के लिए हमारे साथ बने रहें। कृपया अपनी टिप्पणी नीचे दें। सब्जेक्ट एक्सपर्ट द्वारा लिखे जाने वाले वीकली ब्लॉग के लिए बीजक ब्लॉग को लाइक, शेयर और फॉलो करें।