किसान और मंडी सप्लायर अपने एग्री कमोडिटी को मंडी में नीलाम करते हैं जो कृषि उपज विपणन समिति (एपीएमसी) अधिनियम के अंतर्गत हर राज्य द्वारा विनियमित किए जाते हैं। कृषि मंडी में व्यापारिक प्रक्रियाओं को कमीशन एजेंटों (सीए) के माध्यम से विनियमित किया जाता है जो किसानों और मंडी व्यापारियों के बीच मध्यस्थता करते हैं। यह तो आप जानते ही हैं लेकिन इसके अलावा बड़े स्तर पर होने वाले कृषि उत्पादों के व्यापार से जुड़ी गतिविधियों के बारे में इस ब्लॉग में विस्तार से समझते हैं।
कृषि उत्पाद और उससे संबंधित गतिविधियों का महत्व
भारतीय कृषि उत्पादों का फूड इंडस्ट्री में योगदान बढ़ता जा रहा है, विशेष रूप से फूड प्रोसेसिंग उद्योग में। भारतीय फूड और किराने का बाजार दुनिया का छठा सबसे बड़ा हिस्सा है, जिसमें खुदरा बिक्री का 70% योगदान है। भारतीय फूड प्रोसेसिंग उद्योग देश के कुल फूड मार्केट का 32% हिस्सा है, जो भारत में सबसे बड़े उद्योगों में से एक है और उत्पादन, खपत, निर्यात और विकास के मामले में पांचवें स्थान पर है।
भारत की 58% आबादी के लिए कृषि आजीविका का मुख्य स्रोत है, जबकि U.K और U.S.A में 2 से 3 प्रतिशत और फ्रांस में 6 प्रतिशत आबादी है। कृषि उत्पाद हमारे देश की विशाल आबादी के लिए फूड सप्लाई का प्रमुख स्रोत है। भारत में कई महत्वपूर्ण उद्योग हैं जैसे कपास और जूट वस्त्र, चीनी, खाद्य तेल, वृक्षारोपण उद्योग (चाय, कॉफी, रबर) और कई कृषि आधारित कुटीर उद्योग हैं जो अपने कच्चे माल की सप्लाई के लिए कृषि क्षेत्र पर निर्भर हैं। यह कृषि आधारित उद्योग मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में लगभग 50 प्रतिशत आय उत्पन्न करते हैं। कृषि उत्पाद हमारे देश के कुल निर्यात का एक बड़ा हिस्सा हैं। हमारी निर्यात सूची में कुछ मुख्य उत्पादों में आम, चाय, कॉफी, चीनी, तम्बाकू, मसाले, काजू आदि शामिल हैं। ये भारत से कुल निर्यात का लगभग 50 प्रतिशत योगदान करते हैं। इसलिए, कृषि व्यापार क्षेत्र देश की अंतर्राष्ट्रीय व्यापार और वाणिज्य गतिविधियों के लिए महत्वपूर्ण है।
वैश्विक कृषि व्यापार में भारत की स्थिति
भारत दुनिया में कृषि उत्पादों के 15 प्रमुख निर्यातकों में से एक है। देश में चावल, मांस, मसाले, कच्चा कपास और चीनी जैसे कुछ कृषि वस्तुओं में एक महत्वपूर्ण निर्यातक के रूप में उभरा है। भारत बासमती चावल, ग्वार गम और अरंडी के तेल की तरह कुछ विशिष्ट कृषि उत्पादों में निर्यात प्रतिस्पर्धा विकसित की है।
कृषि व्यापार नीति
वर्तमान में चावल, चीनी, कपास, फल और सब्जियों सहित प्रमुख कृषि उत्पादों के निर्यात के लिए किसी प्रतिबंध के बिना निर्यात किए जा रहे हैं। बल्क (नारियल तेल और चावल की भूसी का तेल को छोड़कर) में दालों (काबुली चना को छोड़कर) के निर्यात और खाद्य वनस्पति तेल घरेलू मांग को पूरा करने के लिए ‘प्रतिबंधित’ है।
कृषि क्षेत्र में फॉरेन डायरेक्ट इन्वेस्टमेंट नीति
वर्तमान एफडीआई नीति के अनुसार, 100% एफडीआई माध्यम से कृषि की निम्नलिखित गतिविधियों में अनुमति दी गई है।
- फूलों की खेती, बागवानी, मधुमक्खी पालन और नियंत्रित परिस्थितियों में सब्जियों और मशरूम की खेती।
- विकास और बीज के उत्पादन और रोपण सामग्री।
- पशुपालन (कुत्तों के प्रजनन सहित), मछली पालन, मत्स्य पालन, नियंत्रित परिस्थितियों में।
- कृषि और संबद्ध क्षेत्रों से संबंधित सेवाएं।
- 100% एफडीआई भी बागान क्षेत्र अर्थात् चाय बागानों, कॉफी बागान, रबड़ वृक्षारोपण, इलायची वृक्षारोपण, ताड़ के तेल वृक्षारोपण और स्वत: मार्ग के माध्यम से जैतून का तेल पेड़ वृक्षारोपण में अनुमति दी है।
भारत के कृषि व्यापार में 2020-21 के दौरान पर्याप्त वृद्धि हुई
आंकड़ों की बात करें तो महामारी के बावजूद कृषि उत्पादों के निर्यात में अप्रैल 2020 से फरवरी 2021 के बीच 18.49% की वृद्धि हुई। वर्ष 2020-21 के दौरान भारत से गेहूं के निर्यात में 727% और चावल (गैर बासमती) के निर्यात में 132% की जबरदस्त वृद्धि हुई।
महामारी के कठिन समय में भी भारत ने इस बात का ध्यान रखा कि वैश्विक फूड सप्लाई चेन टूटने न पाए और लगातार निर्यात जारी रहे। अप्रैल 2020 से फरवरी 2021 के दौरान कृषि एवं संबद्ध जिंसों का 2.74 लाख करोड़ रुपये का निर्यात किया। निर्यात में महत्वपूर्ण सकारात्मक वृद्धि दर्शाने वाली उत्पादों में गेहूं,अन्य अनाज, चावल(बासमती के अलावा, सोया मील, मसाले,चीनी, कपास, ताजा सब्ज़ियां, प्रोसेस्ड सब्ज़ियां और मादक पेय शामिल हैं।
गेहूं और अन्य अनाजों के मामले में पिछले साल की तुलना में भारी वृद्धि दर्ज हुई और ये क्रमश: 425 करोड़ रुपये से बढ़कर 3283 करोड़ रुपये और 1318 करोड़ रुपये से बढ़कर 4542 करोड़ रुपये हो गई। भारत ने गेहूं के निर्यात के मामले में 727% की जबरदस्त वृद्धि दर्ज की।
देश ने चावल (गैर बासमती) के निर्यात के मामले में भी 132% की महत्वपूर्ण वृद्धि दर्ज की। गैर बासमती चावल का निर्यात 2019-20 के 13,030 करोड़ रुपये से बढ़कर 2020-21 में 30,277 करोड़ रुपये हो गया। निर्यात में यह वृद्धि कई कारकों की वजह से हुई, जिनमें से मुख्य थी तिमोर-लेस्ते ,पपुआ न्यू गिनी, ब्राज़ील, चिली और प्यूर्तो रिको के बाज़ारों पर भारत का कब्ज़ा हो गया। इन देशों के अलावा टोगो,सेनेगल, मलेशिया, मेडागास्कर, इराक, बांग्लादेश, मोज़ाम्बीक, वियतनाम तथा तंज़ानिया गणराज्य को भी निर्यात किया गया।
भारत ने सोया मील का निर्यात भी बढ़ाकर 132% कर दिया। सोया मील का निर्यात 2019-20 के 3087 करोड़ रुपये के मुकाबले 2020-21 में 7224 करोड़ रुपये हो गया।
अगर आप भी मंडी व्यापार करते हैं तो आपको भी अंतर्राष्ट्रीय बाज़ार में कम ज़्यादा होने वाली डिमांड से लेकर कृषि व्यापारों के बारे में जानकारी रखना ज़रूरी हैं। अगर आप खुदको मंडी व्यापार से जुड़ीं ख़बरों से अपडेटेड रखना चाहते हैं तो बीजक ऐप डाउनलोड करें। यहाँ आप अपने मंडी उत्पाद से सम्बंधित व्यापारियों से कॉल या चैट के माध्यम से जुड़कर व्यापार भी कर सकते हैं।
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