पपीते के बारे में जानें: उत्पादन, खेती, निर्यात और किस्में

Know About Papaya: Production, Cultivation, Export & Varieties

पपीता भारत में मौजूद सबसे ज्यादा फायदेमंद कृषि उत्पाद में से एक है। इसकी बड़ी सफलता का कारण है इसकी आसानी से होने वाली खेती और कई जगह पर उपयोग। पपीते को बड़े खेतों और अपने घर के बगीचे में भी आसानी से उगाया जा सकता है। इसका इस्तेमाल न सिर्फ एक फल बल्कि लेटेक्स बनाने के लिए भी किया जाता है। यह विटामिन सी से भरपूर होता है और पाचन तंत्र को भी बेहतर बनाता है। यह एक उष्णकटिबंधीय फल है जिसकी पूरी दुनिया में मांग है। इसलिए पपीते का व्यापार एक अच्छा व्यवसाय है। तो चलिए आज पपीता और इससे जुड़ी बातों के बारे में गहराई से जानते हैं।

भारत में पपीते का उत्पादन (Papaya Production In India)

इस समय भारत पपीते का सबसे बड़ा उत्पादक है। यह पपीते के कुल विश्व उत्पादन के 50% हिस्से का जिम्मेदार है। यह फल अपने बेहतरीन स्वाद और औषधीय गुणों की के लिए इतना लोकप्रिय है कि इसके कुल उत्पादन का एक बड़ा हिस्सा भारतीय ही खा जाते हैं। हालांकि, भारी घरेलु मांग के बाद भी भारत में इतना पपीता बच जाता है कि इसका निर्यात किया जा सकें। इसकी उच्च घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय मांग किसानों को इस फसल को बड़ी संख्या में उगाने के लिए आकर्षित करती है।

Papaya Production in India

भारत में पपीते की खेती के लिए जिम्मेदार मुख्य राज्य आंध्र प्रदेश, गुजरात, महाराष्ट्र, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, पश्चिम बंगाल, झारखंड, असम और तेलंगाना हैं। कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (APEDA) के साल  2021-22 के आंकड़ों के अनुसार, आंध्र प्रदेश और गुजरात भारत के सबसे बड़े पपीता उत्पादक राज्य हैं। इस समय के दौरान आंध्र प्रदेश ने 1503 टन और गुजरात ने 1107 टन पपीते का उत्पादन किया। पिछले कुछ सालों में भारत ने पपीते के उत्पादन में बहुत तेजी से बढ़ोतरी दिखाई है और यह हर दिन नई ऊंचाइयों पर पहुंच रहा है।

भारत में पपीते की किस्में (Papaya Varieties In India)

भारत में पपीते की कई किस्में मौजूद हैं। आइए जानते हैं इसकी कुछ बेहतरीन किस्मों के बारे में:

Papaya Varieties in India

  1. पूसा डिलीशियस: पपीते की इस किस्म की खेती मुख्य रूप से झारखंड, उड़ीसा, कर्नाटक और केरल में की जाती है। यह एक मध्यम आकार का फल है जिसका वजन लगभग 1-2 किलोग्राम होता है। इसका एक अलग स्वाद है जो इसे दूसरी किस्मों से अलग बनाता है। पूरी तरह से पकाने पर इसका रंग गहरा नारंगी होता है।
  2. पूसा ड्वार्फ: जैसा कि इसके नाम से पता चलता है कि यह पपीते की एक बौनी किस्म है। यह केवल 40 सेमी ऊंचाई तक बढ़ता है। इसके बौनेपन के कारण फल का आकार भी गोल से अंडाकार आकार में हो सकता है। इसका वजन लगभग 0.5 से 1 KG होता है। हालांकि, यह किस्म निजी इस्तेमाल के लिए खेती के लिए अच्छा है। इसे आप आसानी से अपने बगीचे में उगा सकते हैं।
  3. पूसा जायंट: पूसा ड्वार्फ के अलग यह पपीते की सबसे ऊंची किस्मों में से एक है। इस किस्म का पौधा 1 मीटर या उससे अधिक तक बढ़ने पर ही फल देता है। इसका वजन लगभग 2-3 किलोग्राम होता है और पकने पर इसका रंग पीला होता है।
  4. सनराइज सोलो: यह आंध्र प्रदेश की सबसे जानीमानी पपीते की किस्मों में से एक है। यह हवाई में उगने वाली पपीते जिसे सोलो कहा जाता है की एक और भी बेहतर किस्म है। यह फल नाशपाती के आकार का होता है। इसका रंग लाल और स्वाद हल्का मीठा होता है। फल का वजन लगभग 400-500 ग्राम होता है।
  5. ताइवान रेड लेडी: यह भारत में पेश किए गए पपीते की सबसे नई किस्म है। यह मुख्य रूप से व्यावसायिक उद्देश्यों के लिए उगाया जाता है। पपीते की इस किस्म को किसानों द्वारा भी काफी पसंद किया जा रहा है। यह पपीते की सबसे बड़ी किस्मों में से एक है। इसका वजन लगभग 0.5 से 2.5 KG होता है।
  6. अर्का सूर्य: यह पपीते की एक हाइब्रिड किस्म है। यह पिंक पल्प स्वीट के साथ सनराइज सोलो की क्रॉसिंग का नतीजा है। इस पपीते के गूदे का रंग गुलाबी होता है। ये मध्यम आकार के फल होते हैं और इनका वजन लगभग 600-800 ग्राम होता है।

भारत में पपीता उत्पादन (Papaya Cultivation in India)

पपीते को पेड़ जैसे दिखने वाले पौधे के रूप में जाना जाता है। इन पौधों की खासियत यह है कि ये बहुत तेजी से बढ़ते हैं। क्योंकि यह एक उष्णकटिबंधीय पौधा है इसलिए इसे बढ़ने के लिए थोड़ी नमी की जरूरत होती है। पपीते के पौधे को उगाने के लिए 21°C से 32°C तापमान ।

Papaya Export in India

इसके फूल खिलने के लिए इसे बहुत अधिक धूप की जरूरत होती है। यह तीन मौसमों वसंत (फरवरी-मार्च), मानसून (जून-जुलाई), और शरद ऋतु (अक्टूबर-नवंबर) में उगाया जाता है। इसकी मिट्टी में गर्मी के दिनों में नमी और सर्दी के दिनों में सूखापन होना चाहिए। 6.0 – 7.0 पीएच वाली मिट्टी इसके लिए सबसे अच्छी होती है। नर पपीते के पौधे का उपयोग केवल पराग पैदा करने के लिए किया जाता है। वे फल नहीं दे सकते हैं। केवल एक मादा पौधा ही फल दे सकता है। इसकी खेती के दौरान केवल [10%] नर पौधे ही खेत में जोड़े जाते हैं और जब पौधा फूल देता है तो नर पौधे को जड़ से उखाड़ दिया जाता है।

पपीते के निर्यात

साल 2009 से भारत में पपीते का व्यापार बढ़ रहा है। भारतीय पपीते की निर्यात मांग बहुत ज्यादा है। 2009 से 2020 तक भारत ने दुनिया भर में लगातार 3-5 मिलियन डॉलर मूल्य के पपीते का निर्यात किया है। 2020 में, कोविड के समय में भी जब निर्यात लंबे समय तक प्रतिबंधित था, भारत ने सफलतापूर्वक 4.36 मिलियन डॉलर मूल्य के पपीते का निर्यात किया। भारतीय पपीते के लिए 2020 में प्रमुख आयातक कतर, नेपाल, सऊदी अरब, कुवैत, संयुक्त अरब अमीरात और ओमान थे। इस समय मध्य पूर्व भारतीय पपीते का एक बड़ा आयातक बनकर सामने आ रहा है और साल दर साल उनकी मांग बढ़ रही है। इससे पता चलता है कि भारत में पपीते के व्यापार (Papaya Trade In India) में काफी संभावनाएं हैं।

ऊपर आपने देखा कि भारत में पपीते का व्यापार काफी बढ़ रहा है। इसकी बड़ी घरेलू और वैश्विक मांग है। पपीता व्यापारी मंडियों में और बीजक एग्री ट्रेडिंग ऐप जैसे कृषि व्यापार प्लेटफॉर्म पर भारी मुनाफा कमा रहे हैं। बीजक पर आप पूरे भारत के पपीता व्यापारियों का सबसे भरोसेमंद नेटवर्क पा सकते हैं। हम आशा करते हैं कि आपको यह ब्लॉग अच्छा लगा होगा। साप्ताहिक अपडेट प्राप्त करने के लिए बीजक ब्लॉग को लाइक, शेयर और फॉलो करना न भूलें।