भारत में आंवला एक महत्वपूर्ण मंडी उत्पाद है। पिछले कुछ वर्षों में भारत में आंवला उत्पादन और खेती बढ़ी है। आंवला के कई औषधीय महत्व हैं और यह सेहत के लिए भी अच्छा होता है। आंवला प्यूरी की डिमांड में वृद्धि के कारण, आंवला वर्तमान में दुनिया के विभिन्न क्षेत्रों में बढ़ रहा है। भारत के अलावा, आवलां के पेड़ स्वाभाविक रूप से दक्षिण पूर्व एशिया, दक्षिण अमेरिका और यूरोप में उगाए जाते हैं।
आंवला फल को इसके औषधीय और न्यूट्रास्युटिकल गुणों के कारण दुनिया भर में लोकप्रियता मिली है। आंवला पाउडर सेगमेंट 50% बाजार हिस्सेदारी में योगदान देता है और इसके और भी तेजी से बढ़ने की उम्मीद है। आंवला का इस्तेमाल कई क्षेत्रों में किया जाता है जैसे फार्मास्यूटिकल्स, खाद्य और पेय, स्वास्थ और कॉस्मेटिक।
भारत में आंवला का उत्पादन
भारत में उत्तर प्रदेश आंवला का सबसे बड़ा उत्पादक राज्य है, जिसका देश के कुल आंवला उत्पादन में 35% हिस्सा है। उत्तर प्रदेश ने वर्ष 2017-18 में 379 हजार मीट्रिक टन आंवला उत्पादन किया।
तमिलनाडु 28% की हिस्सेदारी के साथ भारत में दूसरा सबसे बड़ा आंवला उत्पादक राज्य है। इसके बाद क्रमशः 14% की हिस्सेदारी मध्य प्रदेश की है। हर साल भारत लगभग 95 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में 1075 हजार मीट्रिक टन आंवला का उत्पादन करता है। भारत जापान, नेपाल, बांग्लादेश, मलेशिया, संयुक्त राज्य अमेरिका और जर्मनी जैसे देशों को बड़ी मात्रा में आंवला और आंवला प्यूरी का निर्यात करता है। आंवला के अर्क (एक्सट्रेक्ट) में निर्यात की काफी संभावनाएं हैं क्योंकि इसका उपयोग कॉस्मेटिक और दवा उद्योग में किया जाता है।
राजस्थान भी आंवला के बड़े उत्पादकों में से एक है। राष्ट्रीय बागवानी बोर्ड के अनुसार, राजस्थान ने दुनिया में कुल आंवला उत्पादन के 13747 मीट्रिक टन में से 995 मीट्रिक टन आंवला का उत्पादन किया। भारत में आंवला कटाई का चरम मौसम सितंबर के मध्य में शुरू होता है और दिसंबर में समाप्त होता है। आंवला की खेती बंजर और शुष्क भूमि में की जा सकती है, इसलिए आंवला उत्पादन राजस्थान में किसानों के लिए एक प्रमुख आय उत्पादक बन गया है।
विश्व में आंवला उत्पादन और निर्यात
भारत विश्व में आंवला का सबसे बड़ा उत्पादक देश है। आंवला मुख्य रूप से यूरोप, दक्षिण पूर्व एशिया और पश्चिमी एशिया के कुछ हिस्सों में पाया जाता है।
उत्तरी अमेरिका, यूरोप, लैटिन अमेरिका, एशिया प्रशांत, मध्य पूर्व और अफ्रीका ऐसे प्राथमिक क्षेत्र हैं जिनमें भारतीय आंवले को भौगोलिक रूप से विभाजित किया जा सकता है। एशिया प्रशांत क्षेत्र वैश्विक भारतीय करौदा बाजार में सबसे शक्तिशाली क्षेत्र के रूप में उभरा है। संयुक्त राज्य अमेरिका आंवला का सबसे बड़ा आयातक है जिसके बाद चीन और जर्मनी का स्थान है।
कनाडा आंवला का सबसे बड़ा निर्यातक है, इसके बाद थाईलैंड और पेरू का स्थान है। 2022 में आंवला का निर्यात मूल्य 3.25 अरब अमेरिकी डॉलर है और 2021 की तुलना में इसमें 13% की वृद्धि देखी गई। आंवला के आयात मूल्य में पिछले वर्ष की तुलना में 10% की वृद्धि देखी गई, जिसका बाजार मूल्य 3.51 बिलियन अमेरिकी डॉलर है।
भारत में आंवला का मौसम
भारत में आंवला का मौसम भारत के सभी राज्यों में समान महीनों में होता है। रोपण का मौसम आमतौर पर जुलाई-अगस्त के बीच होता है। आंवला की कटाई का मौसम मध्य सितंबर और दिसंबर के अंत के बीच होता है। सर्दी और बरसात के मौसम में सिंचाई की आवश्यकता नहीं होती है। गर्मी के मौसम के 15-20 दिनों में सिंचाई की जाती है।
भारत में आंवला की किस्में
भारत में आंवला की तीन मुख्य किस्में हैं। चाकया, फ्रांसिस और बनारसी। आंवला की इन किस्मों में से हर एक के अपने गुण हैं। इतना ही नहीं इनके अलावा नरेंद्र देव कृषि और प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय ने भारत में कमर्शियल खेती के लिए आंवला की कई किस्में पेश कीं, जैसे कृष्णा, कंचन, नरेंद्र आंवला -6, नरेंद्र आंवला -7 और नरेंद्र आंवला -10।
चैकया: हर एक साल छोड़ कर (ऑल्टरनेट साल) की गई खेती के दौरान आंवला की चैकया किस्म में भारी फसल उपजाने की संभावना होती है। आंवला के अन्य फलों की तुलना में इसके फल अक्सर रेशेदार और आकार में छोटे होते हैं। दूसरी ओर, चैकया की कुछ किस्में खास विशेषताओं को अपनाती हैं जैसे, चैकया किस्म की तुलना में कंचन एनए-4 किस्म में बड़े फल लगते हैं। NA-4 किस्में अधिक रेशेदार होती हैं और प्रोसेसिंग में उपयोग की जाती हैं। NA-6 किस्में भारी फल देने वाले पेड़ के साथ कम रेशे वाले फल देती हैं। आंवला की ये किस्में कैंडी और प्रिजर्वेटिव उत्पादों के लिए सबसे उपयुक्त हैं।
फ्रांसिस: फ्रांसिस भारत में सबसे पसंदीदा आंवला किस्म है। फ्रांसिस एक उच्च उपज देने वाली किस्म है। इस किस्म का उपयोग आंवला कैंडी, पाउडर और जूस के निर्माण में भी किया जाता है।
बनारसी: बनारसी आंवला अन्य किस्मों की तुलना में पहले पकता है और यह तेजी से फल देता है। बनारसी आंवला की शेल्फ लाइफ अन्य आंवले की तुलना में कम होती है। इस किस्म को ज्यादातर कैंडी बनाने के लिए इस्तेमाल किया जाता है।
आंवला की अन्य विकसित किस्में
कृष्णा (NA-5) | यह बनारसी आंवला की एक किस्म है। इसके फल आकर में बड़े, त्रिकोणीय और शंक्वाकार होते हैं। इनका रंग पीले-हरे से लेकर खूबानी-पीला जैसा हो सकता है। इनकी त्वचा काफी चिकनी होती है। इस किस्म के फल में रेशे कम पाए जाते हैं और यह काफी तेजी से पकते हैं। |
कृष्णा (NA-4) | यह चैकया आंवला की एक किस्म है। इस किस्म के फल का आकर मध्यम होता है और यह फाइबर से भरपूर होते हैं। इनका इस्तेमाल आंवले के गुदे के निर्माण में किया जाता है। यह मध्य नवंबर से मध्य दिसंबर के बीच पकते हैं। |
नरेंद्र आंवला-6 | यह चैकया आंवला की ही एक किस्म है। इसके फल की त्वचा काफी चमकीली होती है और इनका रंग हरा-पीला होता है। बाकी फलों की तुलना में इसमें फाइबर की मात्रा कम होती है। यह मध्य नवंबर से मध्य दिसंबर के बीच पकता है। |
नरेंद्र आंवला -10 | यह बनारसी आंवला की एक किस्म है। इसके फल का आकार मध्यम से बड़ा और चपटे से गोलाकार होता है। इनकी त्वचा थोड़ी खुरदरी और पीले-हरे रंग की होती है। इसका गूदा हलके हरे रंग का होता है। यह फाइबर से भरपूर होता है। यह किस्म बहुत कम समय में ही पक जाती है। |
नरेंद्र आंवला-7 | यह फ्रांसिस आंवला की एक किस्म है। इसका फल मध्य से बड़े और शंक्वाकार आकार का होता है। यह NA-6 किस्म के मुकाबले अधिक फाइबर वाला होता है। आंवला की यह किस्म मध्य सीजन में खिलती है। |
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