गेहूं निर्यात पर प्रतिबंध लगाने वाली ताकतें

गेहूं निर्यात पर प्रतिबंध लगाने वाली ताकतें गेहूं निर्यात पर प्रतिबंध लगाने वाली ताकतें

इस साल जलवायु के बदलने से हुए प्रभावों को नज़रअंदाज करना काफी मुश्किल रहा। फिर चाहे ज़ोरदार बारिश से आई बाढ़ हो या फिर गर्मी की तेज़ लहरें, जलवायु के बदलने से सब प्रभावित हुए हैं। यह ऐसे ही चलता रहा तो इस जलवायु परिवर्तन का असर हमारी खाद्य आपूर्ति पर भी पड़ेगा। ऐसा अनुमान है कि मार्च और अप्रैल में गर्मी की लहरों के कारण इस साल भारत की गेहूं की फसल की पैदावार में 10% से 30% की कमी आई है। रूस-यूक्रेन के राजनीतिक संकट, सरकारी खरीद के मुद्दे और निर्यात प्रतिबंधों के चलते हमें गेहूं की बढ़ती कीमतें देखने को मिल रही हैं। आइए इस स्थिति पर गहराई से नज़र डालें।

अपने गेहूं को जानें

भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा गेहूं उत्पादक देश है। इस सूची में पहला नाम चीन का है। पिछले दो दशकों में भारत ने दुनिया के 12.5 फीसदी गेहूं का उत्पादन किया है। गेहूं भारत में उगाई जाने वाली प्रमुख खाद्य फसलों में से एक है और इसकी खेती मुख्य रूप से उत्तरी क्षेत्रों में की जाती है। भारत में 29.8 मिलियन हेक्टेयर जमीन पर गेहूं की खेती की जाती है। गेहूँ एक रबी फसल है जो रेतीली या चिकनी दोनों ही मिट्टी में अच्छी तरह से उगती है।

अधिकतर भारतीय घरों में गेहूं का आटा या ‘आटा’ किचन में मिलने वाली एक सामान्य वस्तु है। भारत में कई तरह की गेहूं की फसलें उगाई जाती हैं जैसे वीएल-832, वीएल-804, एचएस-365, एचएस-240, एचडी2687, डब्ल्यूएच-147, डब्ल्यूएच-542, पीबीडब्ल्यू-343, डब्ल्यूएच-896(डी), पीडीडब्ल्यू-233(डी), यूपी-2338, पीबीडब्ल्यू-502, श्रेष्ठ (एचडी 2687), आदित्य (एचडी 2781), एचडब्ल्यू-2044, एचडब्ल्यू-1085, एनपी-200(डीआई), एचडब्ल्यू-741। हालांकि, एक आम उपयोगकर्ता गेहूं की इन किस्मों से परिचित होता है:

  • खपली/सांबा/एममेर/डायबिटिक गेहूं: गेहूं की यह किस्म आहार फाइबर से भरी हुई है और खून में लिपिड और ग्लूकोज के स्तर को कम कर सकती है।
  • शरबती गेहूँ: सुनहरी-गेहूं की यह किस्म मध्य प्रदेश के सीहोर क्षेत्र से आती है। इसमें अन्य किस्मों के स्वाद के मुकाबले अधिक प्रोटीन पाया जाता है।
  • ब्रेड गेहूँ: यह दुनिया भर में उगाई जाने वाली गेहूं की सबसे आम किस्म है। भारत में इसकी अपनी एक अलग किस्म है जिसे भारतीय बौना गेहूं के रूप में जाना जाता है। यह हल्के स्वाद के साथ गोल, छोटे अनाज पैदा करता है।
  • ड्यूरम गेहूं: गेहूं की यह किस्म पास्ता में उपयोग होने के कारण काफी प्रसिद्ध है। इसमें मोटे अनाज पाए जाते हैं। इसमें ब्रेड गेहूं की तुलना में उच्च मात्रा में ग्लूटेन लेकिन कम स्टार्च होता है।

भारत के गेहूं उत्पादक राज्य (Wheat producing states in India)

भारत में प्रमुख गेहूं उत्पादक राज्य उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, मध्य प्रदेश, राजस्थान, बिहार और गुजरात हैं।

भारत में 10 प्रमुख गेहूं उत्पादक राज्य
भारत में 10 प्रमुख गेहूं उत्पादक राज्य

1960 के दशक से ही भारत का गेहूं उत्पादन लगातार बढ़ जा रहा है। हालांकि, पिछले दशक में यह उत्पादन बहुत ही बेहतरीन रूप से बढ़ा है। 2015 में भारत का गेहूं उत्पादन 86527 हजार टन था। साल 2017 आते ही यह बढ़कर 98510 हजार टन हो गया और 2019 में यह आंकड़ा 103600 हजार टन को पार कर गया। तब से गेहूं उत्पादन का यह आंकड़ा लगातार बढ़ रहा है। इस साल आई गर्मी की लहरों और उत्पादन में कमी के बाद भी गेहूं उत्पादन का यह आंकड़ा 108500 हजार टन रहा।

भारत का गेहूं उत्पादन
भारत का गेहूं उत्पादन

भारतीय गेहूं निर्यात 2022 (wheat export in India)

चीन के बाद भारत दुनिया में गेहूं का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक देश है। लेकिन भारत अपना ज्यादातर गेहूं घरेलू खपत के लिए रखता है। ऐसा इसलिए क्योंकि यह भारतीय आहार का एक प्रमुख हिस्सा है। इस समय विश्व में गेहूँ का तीसरा सबसे बड़ा उत्पादक रूस है। लेकिन रूस अपने ज्यादातर गेहूं का निर्यात करता है। यूक्रेन भी गेहूं का बहुत बड़ा उत्पादक और निर्यातक है। यूक्रेन और रूस के बीच के राजनीतिक तनाव का सीधा असर दुनिया की गेहूं सप्लाई पर पड़ा है।

भारत के गेहूं निर्यात का मुख्य हिस्सा उसके पड़ोसी देशों को जाता है। इतना ही नहीं पिछले कुछ सालों में भारत ने इंडोनेशिया, फिलीपींस और दक्षिण कोरिया को गेहूं निर्यात करना शुरू कर दिया है। हालांकि अभी भी भारतीय गेहूं के सबसे बड़े उपभोक्ता हमारे पड़ोसी देश ही हैं। 2020-21 में भारत ने मुख्य तौर पर बांग्लादेश पीआर, नेपाल, संयुक्त अरब अमीरात, श्रीलंका डीएसआर और यमन गणराज्य को गेहूं का निर्यात किया। साल 2022 में बांग्लादेश ने भारत से अपना 60% गेहूं खरीदा। ठीक इसी तरह श्रीलंका 8.1% और यूएई ने अपना 7.3% गेहूं भारत से खरीदा।

भारतीय गेहूं निर्यात
भारतीय गेहूं निर्यात

बांग्लादेश भारतीय गेहूं का सबसे बड़ा आयातक रहा है। 2020-21 में बांग्लादेश ने (23.9%), कनाडा (22.8%), रूस (20.7%) और यूक्रेन (17.1%) ने गेहूं भारत से आयात किया। रूस और युक्रेन के बीच चल रहे युद्ध की वजह से बांग्लादेश को अपनी गेहूं की सप्लाई के लिए भारत का रुख करना पड़ा। पिछले साल की बंपर गेहूं की फसल के बाद साल 2021-22 में भारत अपने गेहूं निर्यात को बढ़ाने के लिए पूरी तरह से तैयार था।

हालांकि, हाल में आई गर्मी की लहरों की वजह से गेहूं के उत्पादन में काफी गिरावट आई है। इसके चलते भारतीय सरकार को देश की खाद्य सुरक्षा जरूरतों को पूरा करने और खाद्य कीमतों को नियंत्रण में रखने पर मजबूर कर दिया है।

13 मई 2022 में भारत ने गेहूं निर्यात प्रतिबंध (wheat export ban) लागू किया। मई में निर्धारित नियमों के अनुसार, निर्यात केवल उन पड़ोसी देशों के लिए किया जाएगा जो अपनी जरूरतें पूरी करने में असमर्थ हैं। हालाँकि, 6 जुलाई को विदेश व्यापार महानिदेशालय के एक बयान के मुताबिक सभी निर्यातकों को गेहूं निर्यात के आउटबाउंड शिपमेंट शुरू करने से पहले अंतर-मंत्रालयी समिति से मंजूरी लेनी पड़ेगी।

भारतीय गेहूं निर्यात (मिलियन टन में)
भारतीय गेहूं निर्यात (मिलियन टन में)

इस प्रतिबंध (wheat export ban) ने उन गेहूं निर्यातकों के लिए मुश्किलें ला दी जिन्होंने विदेशी खरीदारों के साथ पहले से ही अग्रीमेंट किए हुए थे। ठीक इसी तरह गर्मी की लहरों ने उन किसानों के उत्पादन में कमी पैदा की जो निर्यात के लिए गेहूं उगाते थे। इसके चलते वह भी वैश्विक स्तर पर बढ़े हुए गेहूं के दामों का फायदा नहीं उठा पाए।

गेहूं भंडारण

भारत के पास दुनिया का सबसे बड़ा गेहूं का भंडार है (फरवरी 2022 तक 282.7 लाख टन)। लेकिन इस भंडार का अधिकतर हिस्से का इस्तेमाल घरेलु खपत के लिए किया जाता है। भारत के गेहूं निर्यात के प्रतिबंध ने वैश्विक स्तर पर गेहूं की कीमतें बढ़ा दी हैं। लेकिन इससे भारत में गेहूं की स्थिति को स्थिर रखने में काफी मदद मिली है। हालांकि, इस बार सरकारी खरीद हमेशा की तरह नहीं हो पाई है।

लेटेस्ट आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, सरकारी एजेंसियों ने साल 2022-23 के रबी मार्केटिंग सीजन में (पिछले साल खरीदे गए 5.64 मिलियन टन की तुलना में) 0.33 मिलियन टन गेहूं की खरीद की है। मार्केटिंग साल 2022-23 में सरकारी एजेंसियों ने 6 मिलियन टन गेहूं की खरीद की योजना बनाई है। इस बार गर्मी की लहरों के कारण हुई कम उपज और कटे गेहूं की कम सप्लाई के कारण गेहूं की खरीद में कमी देखी गई है। यह कम सप्लाई इसिलए भी देखने को मिली क्योंकि किसानों ने अपनी फसल खुले बाजारों में अच्छे दामों पर बेची है (2015 रुपये प्रति क्विंटल के एमएसपी की तुलना में 2,050 रुपये से 2,200 रुपये प्रति क्विंटल)।

गेहूं की कम खरीद ने राज्य सरकारों को मोबाइल केंद्रों के जरिए गाँव-गाँव जा कर किसानों से सीधे गेहूं खरीदने पर मजबूर कर दिया है। इस समय ऐसे 5,700 मोबाइल खरीद केंद्र हैं।

गर्मी की लहरों का असर

गर्मी की लहरों के कारण इस साल भारत की गेहूं की पैदावार 10% से 30% तक कम हुई। हालांकि भारत के पास गेहूं का पर्याप्त भंडार मौजूद है। यह एक चौकाने वाली बात है क्योंकि पिछले साल की बंपर फसल के मुकाबले इस साल की फसल काफी कम थी।

गेहूं की फसल के तीन मुख्य चरण होते हैं – बुवाई, फूल का उगना और फसल का बढ़ना। इन तीनों में से किसी भी चरण के समय अगर तापमान काफी ज्यादा बढ़ जाता है तो फसल की उपज और गुणवत्ता पर इसका सीधा असर पड़ता है। इस साल गर्मी की लहरें फसल के आखिरी चरण के दौरान आई जो सबसे जरूरी चरण होता है।

यह पहली बार नहीं है जब भारत को अत्यधिक गर्मी के चलते कम खाद्य उत्पादन का सामना करना पड़ रहा हो। 2019 के एक अध्ययन के अनुसार, साल 2010 में भी ठीक इसी तरह की गर्मी की लहरों ने फसल की पैदावार पर काफी असर डाला। जिसके चलते पंजाब में 4.9%, हरियाणा में 4.1% और उत्तर प्रदेश में 3.5% तक कम पैदावार हुई। 2022 की गर्मियों की शुरुआत मार्च महीन से हुई। इतना ही नहीं, इससे पहले की सर्दी भी काफी कम समय तक रही। गेहूं को बढ़ने के लिए ठंड की जरूरत होती है जो इससे पिछले साल नहीं मिल पाई। इसलिए मार्च में जब इनकी कटाई होनी थी तब तक यह पूरी तरह से पके ही नहीं थे और इनकी गुणवत्ता पर भी इस मौसम की मार का असर दिख रहा था। मौसम के एक बदलते प्रभाव के कारण किसानों को मजबूरन पकी हुई फसलों को निकालकर बाकी फसल को पीछे छोड़ना पड़ा। ऐसा इसलिए किया गया ताकि उनका और ज्यादा नुक्सान न हो।

इंटरगवर्नमेंटल पैनल ऑन क्लाइमेट चेंज (आईपीसीसी) के अध्ययन के अनुसार, दुनिया के औसत तापमान का बढ़ना भारतीय कृषि के लिए एक खतरा बन सकता है।

अंतर्राष्ट्रीय खाद्य नीति अनुसंधान संस्थान द्वारा वैश्विक खाद्य नीति रिपोर्ट 2022 में यह चेतावनी दी गई है कि जलवायु के बदलने से भारत के कृषि उत्पादन में भारी गिरावट आ सकती है। गर्मी की जिन लहरों का आज भारत सामना कर रहा है वह जलवायु परिवर्तन का ही असर है। भारत में कृषि पर जलवायु परिवर्तन के दीर्घकालिक प्रभाव पर 2016 के एक सरकारी अध्ययन के अनुसार यह बात सामने आई कि तापमान के 2.5 डिग्री से 4.9 डिग्री सेल्सियस तक बढ़ने से गेहूं की पैदावार 41-52 प्रतिशत तक कम हो सकती है।

अगर हम अपने देश की बात करें तो, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) ने 573 ग्रामीण जिलों में जलवायु परिवर्तन का आकलन किया। इस आकलन से यह अनुमान निकलकर आय कि 2020-2049 के बीच तापमान 256 जिलों में 1 से 1.3 डिग्री सेल्सियस और 157 जिलों में 1.3 से 1.6 डिग्री सेल्सियस तक बढ़ सकता है। तापमान के बढ़ने से इन क्षेत्रों में गेहूं की खेती पर काफी असर पड़ेगा।

आगे क्या होगा?

लगातार बढ़ते तापमान से गेहूं की फसल को कैसे बचाया जाए इसपर अभी कोई ठोस अध्ययन नहीं हुआ है। इस क्षेत्र में एक सिमुलेशन मॉडल (इन्फोक्रॉप) और फील्ड प्रयोग ही यह सबसे बढ़िया तरीके से दिखा पाए हैं कि अत्यधिक गर्मी के बढ़ने से गेहूं के उत्पादन पर किस तरह से असर पड़ता है। इस अध्ययन के परिणामों ने दिखाया कि लंबे समय तक गर्मी के तनाव से 2050 में गेहूं की पैदावार 11.1% तक कम हो जाएगी। जल्दी बुवाई (निर्धारित बुवाई की तारीख से 10 दिन पहले ही बुवाई कर देना), नाइट्रोजन उर्वरक का अधिक इस्तेमाल और अनाज भरने के चरण में अधिक सिंचाई आदि जैसी चीजों को गेहूं की पैदावार बढ़ाने का बेहतर विकल्प माना गया है।

आगे क्या?

जलवायु परिवर्तन के प्रभाव एक ऐसा मुद्दा है जिसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है। ऐसा इसलिए क्योंकि इससे आने वाले सालों में गेहूँ और खाद्य उत्पादन में गिरावट आ सकती है। रूस और यूक्रेन के बीच की राजनीतिक स्थितियां देखकर यह अंदाजा लगाया जा सकता है कि यह युद्ध अभी और चलेगा। हालांकि कई महीनों की बातचीत के बाद यूक्रेन और रूस ने काला सागर बंदरगाहों से गेहूं के निर्यात की अनुमति देने पर सहमति जताई की। लेकिन चीजें पहले सी होने में अभी कुछ और समय लग सकता है। इन बाहरी कारणों को देखते हुए यह कहने में कोई गलती नहीं है कि भारत का गेहूं निर्यात पर प्रतिबंध काफी लंबे समय तक चल सकता है।

हमें उम्मीद है कि यह ब्लॉग मौजूदा गेहूं की गिरती-बढ़ती कीमतों पर रौशिनी डाल पाएगा। हम कमेंट सेक्शन में आपके विचार जानना चाहेंगे। भारतीय कृषि व्यापार पर साप्ताहिक ब्लॉग के लिए बीजक ब्लॉग को लाइक, शेयर और फॉलो करना न भूलें। बीजक भारत का सबसे भरोसेमंद एग्री-ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म है। यह भारत भर के कृषि व्यापारियों को 200 से अधिक उत्पाद में व्यापार करने के लिए एक साथ लाता है। आप बीजक मंडी पर इस काम की एक झलक पा सकते हैं और बीजक ऐप डाउनलोड करके तुरंत ट्रेडिंग शुरू कर सकते हैं।

स्रोत: Types Of Wheat, Wheat Graph, APEDA, Global Wheat Production, Money Control, Business Standard, Inventiva, Wionews, India Today, Weather Woes, Financial Express, Mongabay, The Readers Time, CNN, Drishtiias, The Print