आखिर कैसे होता है मंडी का संचालन?

Traders in Indian mandi system कैसे होता है कृषि उपज मंडी का संचालन

हमारे भारत देश में किसानों के उत्पादों की खरीद के लिए ‘एग्रीकल्‍चर प्रोड्यूस मार्केट कमेटी’ यानी ‘एपीएमसी’ की व्यवस्था है। 2019 की गणना के अनुसार भारत में 7,600 एपीएमसी मंडियां हैं। जो की मंडी व्यापार की जरूरतों से काफी कम हैं और इन एपीएमसी मंडियों की संख्‍या बढ़ा कर 42,000 करने की जरूरत है। जिससे किसान को अपने उत्‍पाद बेचने के लिए दूर नहीं जाना पड़ेगा। आज हम इस ब्लॉग के माध्यम से भारतीय मंडी व्यवस्था से संबंधित नीचे दिए गए सवालों के जवाब विस्तार से जानेंगे।

  • कैसे संचालित होती है मंडी व्यवस्था?
  • मंडी में कैसे तय होते हैं किसान के फसल के दाम? 
  • व्यापारी और मंडी प्रशासन की क्या होती है भूमिका? 

कैसे संचालित होती है भारतीय मंडी व्यवस्था? 

मंडी को किसान, व्यापारी और मंडी प्रशासन ये तीन पहिये संचालित करते हैं। किसान के लिए मंडी, फसल या अपना उत्पाद बेचने का मुख्य प्लैटफॉर्म होता है। किसान का उत्पाद खरीदने के लिए लायसेंसी व्यापारी होते हैं। किसानों का अधिकार सुरक्षित रखने में मंडी प्रशासन की अहम भूमिका होती है। 

सबसे पहले तो किसान मंडी में आते हैं। अपनी बैलगाड़ी, ट्रैक्टर या लॉरी लगाते हैं। नंबर लगने पर उसकी पर्ची बनती है। उत्पादों की नीलामी होती है। यदि किसी व्यापारी ने उत्पाद खरीदा तो उसे मिलकर या कॉन्टैक्ट करने के बाद अपना माल तोलने के लिए वजन काटे पर ले जाया जाता है या मंडी में ही माल तोला जाता है। 

उदाहरण के तौर पर भोपाल मंडी में पर्ची सिस्टम की व्यवस्था है। सफेद, हरी और लाल पर्ची। सफेद पर्ची के जरिये मंडी में कितने किसान आएं उसका रिकॉर्ड रखा जाता है। हरी और लाल पर्ची की जरिये खरीदी हुई फसल का ब्यौरा रखा जाता है। नीलामी के बाद मंडी प्रशासन से किसान को हरी और व्यापारी को लाल पर्ची दी जाती है। 

मंडी में कैसे तय होते हैं किसान के फसल के दाम?

मंडी में किसान अपने उत्पाद को फैला कर रखते हैं। उस उत्पाद को खरीदने के लिए जितने भी व्यापारी उत्सुक होते हैं वो पास आ जाते हैं। उत्पादों को देखकर जांच-परखकर वे बताते हैं की उत्पाद की क्वालिटी कैसी है और उसका क्या रेट होना चाहिए? फिर उसके आधार पर उनमें नीलामी की प्रक्रिया शुरू हो जाती है। जो ज़्यादा भाव लगाकर नीलामी जीतता है वो रेट मंडी अनुबंध में लिखा जाता है। 

किसान को जो हरी पर्ची दी जाती है उसके ऊपर फर्म का नाम लिखा होता है। तो किसान अपना उत्पाद लेकर उस फर्म के पास पहुंच जाता है। उत्पाद की बोली का पूरा संचालन मंडी कर्मचारियों की देखरेख में किया जाता है। खरीदी बिक्री के लिए बकायदा एक समय निर्धारित किया जाता है। खरीदी की पूरी प्रक्रिया में किसानों का शोषण न हो इसकी जिम्मेदारी मंडी प्रशासन पर होती है। 

व्यापारी और मंडी प्रशासन की क्या होती है भूमिका? 

किस व्यापारी ने कौनसे किसान से क्या दाम में उत्पाद खरीदा, इसका ब्यौरा मंडी समिति ही रखती है। नीलामी के बाद उत्पाद का वजन होते ही उसका तुरंत पेमेंट भी कर दिया जाता है। मंडी समिति इस प्रक्रिया की निगरानी करती है। इस प्रक्रिया के कारण किसानों को अपने उत्पादों का हाथो-हाथ दाम मिल जाता है। भारत की हर मंडी में यह प्रक्रिया एक जैसी हो ऐसा जरूरी नहीं। मंडी प्रणाली का मुख्य काम किसानों के उत्पादों को सही दाम दिलवाना होता है।

ये हुई किसानों के मंडी व्यापार की बात! अब मंडी व्यापारियों के लिए एक खास सेवा के बारे में जानते हैं। जिस तरह मंडी प्रशासन सुनिश्चित करती है की किसानों को उनके उत्पादों के लिए सही भाव मिलें उसी तरह बीजक ऐप सुनिश्चित करता है की मंडी व्यापारी डिजिटल तरीके से सुरक्षित मंडी व्यापार कर सकें। मंडी व्यापारी अब माल बेचने या खरीदने के लिए सीधे बीजक ऐप डाउनलोड कर सकते हैं। इसके साथ कुछ ही क्लिक में देशभर के किसान, सप्लायर और खरीदारों से जुड़ सकते हैं। अपनी व्यापारिक जरूरतों के अनुसार वेरीफाइड मंडी व्यापारियों से चैट या कॉल करके डील कर सकते हैं। मंडी व्यापारियों के लिए यहाँ 24/7 सुरक्षित पेमेंट सुविधा करने और प्राप्त करने की भी सुविधा है और अपने सभी लेनदेन का डिजिटल रिकॉर्ड रखने भी सुविधा है। तो देर किस बात की? अभी बीजक ऐप डाउनलोड करें और अपना मंडी व्यापार बढ़ाएं। 

हमें उम्मीद है कि आपको इस जानकारी से अपने व्यापार में ज़रूर फायदा होगा। भारतीय कृषि व्यापार से संबंधित उत्पादों और जानकारी के बारे में अधिक जानना चाहते हैं तो हमें कमेंट में बताएं। यदि आप मंडी बिजनेस से जुड़े किसी भी विषय के बारे में हमसे ब्लॉग के जरिए जानकारी चाहते हैं तो हमें कमेंट करके बताएं और हमारे सभी सोशल मिडिया हैंडल को फॉलो करना न भूलें।

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