टमाटर TOP (Tomato, Onion and Potato) सब्ज़ियों में शामिल है। बाकी दो सब्ज़ियां प्याज और आलू हैं। टमाटर भारत की सबसे ज्यादा उगाई और खाई जाने वाली सब्जियों में से एक है। सालाना भारत में 21-23 मिलियन टन टमाटर का उत्पादन किया जाता है। प्रति हेक्टेयर जमीन पर औसतन 250-400 क्विंटल टमाटर का उत्पादन होता है। इतने उत्पादन के बाद भी इस साल अपनी बढ़ी टमाटर की कीमतें (Tomato Prices) चर्चा में है। तो आइए जानते हैं कि आखिर यह क्यों हो रहा है? लेकिन उससे पहले इस कमाल की सब्जी के बारे में थोड़ा विस्तार से जानते हैं।
टमाटर के बारे में जानें
टमाटर एक ऐसी सब्जी है जिसका उपयोग उत्तर और दक्षिण भारत के व्यंजनों में बड़े पैमाने पर किया जाता है। हालांकि, भारत में इसका आगमन सबसे पहली बार 16वीं शताब्दी में हुआ। दक्षिण अमेरिका के पुर्तगाली मसाला व्यापारियों द्वारा इसे पहली बार भारत लाया गया था। लिखित सबूत के तौर पर 19वीं शताब्दी की रसोई की एक किताब, नुस्खा-ए नियमत खान (1801) में टमाटर के बारे में लिखा गया था। किताब में ‘तरकीब-ए-टोमाटा सूप यानी शोरबा विलायती बैंगन’ रेसेपी में टमाटर का जिक्र किया गया था। उस समय के बाद से टमाटर ने एक बहुत ही लंबा सफर तय किया है।
टमाटर की खेती और टमाटर मूल्य श्रृंखला

यूँ तो टमाटर एक गर्म मौसम की फसल है लेकिन भारत में इसे साल भर उगाया जाता है। 10-25 डिग्री सेल्सियस तापमान और 400-600mm की बारिश को टमाटर की खेती के लिए सबसे बेहतर माना जाता है। उत्तर भारत में खरीफ की फसल जुलाई में और रबी की फसल अक्टूबर-नवंबर के बीच बोई जाती है। हालांकि, ठंड के कारण रबी की फसल अच्छे से नही खिल पाती है। इसलिए रबी टमाटर की कमी आमतौर पर दक्षिणी मैदानी इलाकों के टमाटरों से पूरी की जाती है। दक्षिण भारत में टमाटर साल भर चलने वाला उत्पाद है क्योंकि इसकी पहली रोपाई दिसंबर-जनवरी में, दूसरी जून-जुलाई के बीच और तीसरी सितंबर-अक्टूबर में की जाती है।
भारत में टमाटर की कई किस्में उगाई जाती हैं। हालांकि इसके बाद भी अधिकतर उपभोक्ता सिर्फ ‘नाटी’ (स्थानीय टमाटर) और हाइब्रिड किस्मों के बारे में ही जानते हैं। टमाटर की प्रसिद्ध किस्मों में पूसा रूबी, पूसा- 120, पूसा शीतल, पूसा गौरव, पूसा अर्ली ड्वार्फ, अर्का सौरभ, अर्का आहुती, अर्का विकास, अर्का मेघाली, एचएस101, आदि शामिल हैं। इसकी कुछ हाइब्रिड किस्में भी प्रसिद्ध हैं जैसे पूसा हाइब्रिड 1, पूसा हाइब्रिड 2, पूसा हाइब्रिड 3, अर्का अभिजीत, अर्का विशाल, अर्का श्रेष्ठ, अर्का वरदान, वैशाली, COTH 1 हाइब्रिड टमाटर, रश्मी, MTH 4 आदि।
टमाटर को कई तरह की मिट्टी पर उगाया जा सकता है जैसे – रेतीली दोमट मिट्टी, चिकनी मिट्टी, काली और लाल मिट्टी। टमाटर की खेती के लिए सबसे पहले मिट्टी को जोतकर समतल किया जाता है। इसके साथ ही मिट्टी में गाय का गोबर, कार्बोफ्यूरॉन या नीम का केक भी मिलाया जाता है ताकि उसके पोषक तत्त्व बढ़ सकें। कुछ किसान मिट्टी के ऊपर एक पारदर्शी प्लास्टिक की फिल्म भी बिछाते हैं। सौरकरण के नाम से प्रसिद्ध इस प्रक्रिया में प्लास्टिक रेडिएशन को सोख लेता है। वहीं दूसरी ओर इससे मिट्टी का तापमान बढ़ जाता है जिससे मिट्टी में मौजूद कीट भी मर जाते हैं।
टमाटर के बीजों को मिट्टी में रोपने के बाद उनपर सूक्षम पोषक तत्वों से भरे पानी का छिडकाव किया जाता है। 25 से 30 दिनों बाद इन बीजों की दोबारा से रोपाई की जाती है। खेत में खूंटे लगाए जाते हैं ताकि फसल और भी बेहतर तरीके से बढ़ सकें। इन खूंटों के होने से टमाटर मिट्टी और पानी से टकराने से बच जाते हैं जिसके कारण वह सड़ते नहीं हैं।
टमाटर की बढ़िया फसल पाने के लिए इसके विभिन्न चरणों के दौरान मोनो अमोनियम फॉस्फेट, बोरॉन, कैल्शियम नाइट्रेट आदि जैसे उर्वरकों का इस्तेमाल किया जाता है। साथ ही इनकी बार-बार निराई भी की जाती है।
टमाटर की अच्छी फसल में सिंचाई भी एक अहम भूमिका निभाती है। सर्दियों के मौसम में सिंचाई हर 6-7 दिन में की जाती है। वहीं गर्मियों में यह 10-15 दिन में की जाती है। फूल का सही से खिलना टमाटर के बहुत जरूरी होता है। फूल सही से खिलने के कारण ही टमाटर की अच्छी फसल मिल सकती है। विशेषज्ञों के अनुसार अच्छे परिणामों के लिए हर दो हफ्ते में 2 इंच की सिंचाई करनी चाहिए। इसके लिए ड्रिप सिंचाई को काफी बेहतर माना जाता है।
कीट नियंत्रण एक और खर्च है, क्योंकि विभिन्न कीटों को अलग तरह से संभालना पड़ता है। थ्रिप्स, माइट्स, व्हाइट फ्लाई, ब्लाइट, लीफ माइनर आदि जैसे सामान्य कीटों के अलावा, जलवायु परिवर्तन से जुड़ी स्थितियों के कारण फफूंदी, फलों की सड़न, एन्थ्रेक्नोज, डैम्पिंग ऑफ डिजीज आदि जैसी बीमारियां भी होती हैं।
टमाटर की खेती में कीट नियंत्रण भी एक बेहद महत्वपूर्ण कदम होता है। ऐसा इसलिए क्योंकि अलग-अलग तरह के कीट को रोकने के अलग-अलग तरीके होते हैं। तैला, दीमक, सफ़ेद मक्खी, ब्लाइट, लीफ माइनर टमाटर पर लगाने वाले कुछ सामान्य कीट हैं। इसके अलावा मौसम में होने वाले बदलावों से भी टमाटर की फसल में फफूंद, सड़न, डैम्पिंग जैसी बीमारियाँ भी हो जाती हैं।
रोपाई करने के 70 दिनों बाद टमाटर की कटाई की जाती है। सही तरीके से पके हुए टमाटरों को लंबी दूरी के परिवहन के लिए अच्छा माना जाता है। वहीं जिन टमाटर का रंग थोड़ा गुलाबी होता है उन्हें पास के बाजारों में भेजा जाता है। पके लाल रंग वाले टमाटरों को स्थानीय बाजारों में बेचा जाता है। नरम लाल टमाटरों को टमाटर के पेस्ट के लिए भेजा जाता है। अधिकाँश भारतीय टमाटर की किस्में आकर में छोटी होती हैं। इसलिए यह टमाटर का पेस्ट बनाने के लिए काफी नहीं होते हैं। प्रोसेस्ड टमाटर के पेस्ट के निर्यात में चीन सबसे आगे है जबकि भारत 13वें स्थान पर है। यही कारण है कि बड़ी कंपनियां जो टमाटर का पेस्ट का उपयोग करती हैं वह चीन से पेस्ट का आयात करना पसंद करती हैं।
कटाई के बाद टमाटरों को छांटकर उनकी ग्रेडिंग और पैकिंग करके उन्हें क्रेट में रखा जाता है। टमाटर एक जल्दी खराब होने वाली फसल है और किसानों के पास पर्याप्त कोल्ड स्टोरेज की सुविधा नहीं होती है। इसके बाद टमाटरों को ट्रक में भरकर मंडियों में बेचने के लिए ले जाया जाता है। वहां इन्हें उन खरीदारों को बेचा जाता है जो बाद में इससे आपको बेचते हैं। परिवहन टमाटर के किसानों के लिए एक बहुत ही जरूरी चीज है क्योंकि इस सब्जी की आयु बहुत लंबी नहीं होती है।

अच्छी परिस्थितियों के बाद भी हर चरण में टमाटर किसानों को और अधिक खर्चों का सामना करना पड़ता है जैसे कृषि इनपुट के साथ-साथ श्रम शुल्क। इतना ही नहीं कटाई, कटाई के बाद और वितरण के समय भी टमाटर को काफी नुक्सान पहुंचता है। इन सभी चीजों के कारण टमाटर की सप्लाई पर असर पड़ता है और उसकी कीमत बढ़ जाती है।
टमाटर की कीमतें क्यों बढ़ रही हैं?

टमाटर की कीमत पर नियंत्रण करना एक ऐसा मुद्दा है जो निरंतर चलता रहता है। टमाटर पूरे भारत में इस्तेमाल होता है और साल भर इसकी मांग बनी रहती है। टमाटर का व्यापार डिमांड और सप्लाई पर आधारित होता है। इसके कारण ही इसकी कीमत पर भी असर पड़ता है। इस साल ही भारत के कई हिस्सों में टमाटर को ₹100 प्रति किलो की कीमत पर बेचा गया है। चलिए इस साल सामने आई ऐसी कुछ वजहों पर नजर डालते हैं जिनसे टमाटर के दाम बढ़े:
टमाटर गर्म मौसम में फलते-फूलते हैं। मार्च-अप्रैल के बीच देश के उत्तरी भाग में (कुछ स्थानों पर तापमान लगभग 50 डिग्री सेल्सियस तक पहुंचा) गर्मी की लहर ने टमाटर की फसल पर काफी असर किया। टमाटर के फूल 40 डिग्री सेल्सियस से अधिक के तापमान में चार घंटे के अंदर ही टूटकर गिर जाते हैं। वहीं दूसरी ओर दक्षिण में भारी बारिश ने दक्षिण भारतीय राज्यों से टमाटर की सप्लाई को प्रभावित किया। चक्रवात आसनी के कारण भी ओडिशा और आंध्र प्रदेश के कई हिस्सों में टमाटर की बढ़ी कीमतें दिखाई दीं।
मौसम में बदलाव के कारण टमाटर की फसल पर कीटों का हमला भी बढ़ गया। इनमें से अधिकतर कीटों पर अब कीटनाशकों का असर होना भी बंद हो चुका है।
पिछले दो सालों में कोरोना संकट और उसके बाद लगे लॉकडाउन के कारण किसान अब टमाटर को एक फायदेमंद फसल के रूप में नहीं देख रहे हैं। टमाटर जैसी जल्दी खराब होने वाली फसल के लिए किसानों को कोई अतिरिक्त मदद नहीं मिलती है। इसलिए इनकी फसल अधिकतर समय भरमार और कमी के दौर से गुजरती है। वास्तविक समय के मौसम के डेटा की कमी के कारण भी किसान सही निर्णय नहीं ले पाते हैं। कई किसानों ने मौसम से होने वाले नुक्सान का गलत अनुमान लगाया और टमाटर की खेती पर ध्यान नहीं दिया। इसके कारण टमाटर की सप्लाई पर काफी असर पड़ा।
इसके अलावा टमाटर की पैदावार भी एक बड़ी समस्या है। इस समय टमाटर की पैदावार उतनी नहीं है जितने का अनुमान लगाया जा रहा था। साथ ही इसके बीच की किस्मों को मौसम की चुनौतियों के अनुरूप भी तैयार नहीं किया जा रहा है। वहीं दूसरी ओर किसानों के पास पर्याप्त जानकारी नहीं होती है जिसके चलते वह अधिक उत्पादन नहीं कर पाते हैं।
हमें उम्मीद है कि यह ब्लॉग टमाटर की मौजूदा कीमत बढ़ने के कारणों पर प्रकाश डालेगा। अपनी प्रतिक्रिया नीचे कमेंट बॉक्स में साझा करें। विशेषज्ञों के नियमित साप्ताहिक ब्लॉग के लिए बीजक ब्लॉग को लाइक, शेयर और फॉलो करना न भूलें। बीजक भारत का सबसे भरोसेमंद एग्रीट्रेडिंग ऐप है जो किसानों, खरीदारों (कमीशन एजेंटों) और सप्लायर को एक सामने लाता है। यह 150 से अधिक उत्पाद (टमाटर सहित) में व्यापार की देखरेख करता है। यदि आप एक कृषि व्यापारी हैं, तो कृपया Google Playstore और Apple App Store से बीजक ऐप डाउनलोड करें। आप हमें 8588998844 पर भी कॉल कर सकते हैं या हमें contact@bijak.in पर ईमेल कर सकते हैं।
स्रोत:
Agricultural Value Chains in India by Ashok Gulati, Kavery Ganguly, Harsh Wardhan
How to Grow Tomatoes at Home & the Story of India’s ‘Wilayati Baingan’
Tomato Cultivation Guide 2022
Tomato Types of Varieties, Fertilizers, Pest Control
Tomato Cultivation Guide for Beginners
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