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महंगाई ने सरकार की चिंता बढ़ाई, गेहूं के बाद चीनी निर्यात पर प्रतिबंध

चीनी के निर्यात पर प्रतिबंध लगा

चीनी के निर्यात पर प्रतिबंध लगा

देश में बढ़ती महंगाई को देखते हुए भारत सरकार लगातार कड़े फैसले ले रही है। इसी के तहत पहले गेहूं के निर्यात पर रोक लगाई थी तो अब चीनी के निर्यात पर प्रतिबंध (Government restricts sugar export) लगा दिया है। हालाकिं कुछ ख़ास परिस्थितियों को इस प्रतिबंध से बाहर रखा है। घोषणा के अनुसार, चीनी निर्यात को 100 लाख टन तक सीमित कर दिया गया है वो भी कुछ चुनिन्दा देशों को। 

यह प्रतिबंध एक जून 2022 से लागू होगा जो अगले आदेश तक जारी रहेगा। सरकार ने कहा कि इस फैसले से ना सिर्फ देश में चीनी की बढ़ती कीमतों को नियंत्रित रखने में मदद मिलेगी बल्कि घरेलू बाजार में चीनी की उपलब्धता भी बढ़ेगी।

गौरतलब है कि पिछले छह साल में पहली बार चीनी के निर्यात पर बैन लगाया गया है। सरकार घरेलू मांग को पूरा करने के लिए अपने पास कम से कम दो से तीन महीने का अतिरिक्त चीनी स्टॉक रखना चाहती है। आंकड़ों की मानें तो मौजूदा शुगर सीजन में भारत ने 90 लाख टन चीनी के निर्यात का कॉन्ट्रैक्ट साइन किया हुआ है। जिसमें से करीब 78 लाख टन चीनी का एक्सपोर्ट किया जा चुका है।

चीनी हुई फीकी

अभी थोक बाजार में चीनी की कीमत 3150 से 3500 रुपये प्रति क्विंटल है। वहीं इसकी खुदरा कीमत 36 से 44 रुपये किलो चल रही है। ज्यादा निर्यात होने से देश में चीनी की कीमत में तेजी आने लगी थी। 

विदेश व्यापार महानिदेशालय (DGFT) द्वारा जारी एक अधिसूचना में कहा गया कि, ‘कच्ची, परिष्कृत और सफेद चीनी का एक जून 2022 से एक्सपोर्ट प्रतिबंधित किया जा रहा है।’ सरकार ने यह साफ किया है कि यह पाबंदी सीएक्सएल (CXL) और टीआरक्यू (TRQ) के तहत यूरोपीय संघ (EU) और अमेरिका को निर्यात की जा रही चीनी पर लागू नहीं होगी। दूसरे देशों को निर्यात पर पाबंदी रहेगी।

चीनी का है बड़ा बाजार

भारत चीनी के उत्पादन के मामले में नंबर एक और निर्यात के मामले में दुनिया में दूसरे नंबर पर है। सिर्फ ब्राजील ही भारत से अधिक चीनी का निर्यात करता है। भारत से सबसे ज्यादा चीनी निर्यात इंडोनेशिया, अफगानिस्तान, श्रीलंका, बांग्लादेश, संयुक्त अरब अमीरात, मलेशिया और अफ्रीकी देशों को होता है। उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र और कर्नाटक जैसे राज्य हमारे यहां चीनी के सबसे बड़े उत्पादकों में से हैं। देश की कुल चीनी का 80 फीसदी उत्पादन इन तीन राज्यों में होता है।

इस प्रतिबंध से सरकार यह सुनिश्चित करना चाहती है कि अक्टूबर-नवंबर में आने वाले त्योहारों के दौरान देश में चीनी की पूरी उपलब्धता हो और दाम भी स्थिर रहे। वर्तमान में अन्य चीज़ों की तुलना में चीनी की कीमतें ‘कहीं ज्यादा स्थिर’ हैं पर वैश्विक स्तर पर चीनी की कमी से कीमतों में असामान्य वृद्धि हो सकती है। ऐसी परिस्थति को भापते हुए ही सरकार ने यह ‘एहतियाती’ कदम उठाया है।

देखते हैं कि सरकार के इस कदम से चीनी की परिस्थितियां कैसे बदलती हैं। चीनी के व्यापारियों से जुड़ने और सही दाम की जानकारी पाने के लिए बीजक ऐप डाउनलोड करें। 

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