भारत आज दुनिया में प्याज का सबसे बड़ा उत्पादक बन चुका है। चाहे घरेलू उपयोग हो या अंतराष्ट्रीय निर्यात, प्याज की मांग हमेशा बनी रहती है। प्याज की कीमतों में उतार-चढ़ाव, घरेलु बजट को भी प्रभावित कर देता है। हालाँकि, प्याज की कीमतों का इतनी तेज़ी से बढ़ना या घटना, उसकी ज्यादा मांग और कम सप्लाई के कारण भी हो सकता है। यही वजह है कि भारत के 10 मुख्य राज्यों में साल में तीन बार प्याज की खेती होने के बावजूद भी हमें इसमें और सुधार लाने की जरुरत है।
जब प्याज की कम सप्लाई होती है तो कीमतों को बढ़ने से रोकने के लिए भारत सरकार कई कदम उठाती है। जैसे कि प्याज का निर्यात बंद कर देना या फिर जमा किया हुआ स्टॉक जारी कर देना। हमने अपने पिछले ब्लॉग में भारतीय प्याज निर्यात बाजार के बारें में बात की थी। जब प्याज की सप्लाई कम होती है तो भारत सरकार पहले यह सुनिश्चित करती है कि निर्यात से पहले प्याज की घरेलु मांगों को पूरा किया जाए। कई बार तो प्याज के निर्यात को पूरी तरह से बंद कर दिया जाता है और कीमतें स्थिर होने तक आयात शुरू कर दिया जाता है।
हालांकि यह आम जनता के लिए अच्छा है, लेकिन यह भारतीय प्याज निर्यातकों और आयात करने वाले देशों के लिए अच्छा नहीं है। निर्यात अचानक बंद करने के कारण अन्य देश, विशेष रूप से बांग्लादेश जैसे देश को इसका नुक्सान उठाना पड़ता है, जो कुल भारतीय प्याज निर्यात का 30-35% खपत करता है। इसलिए सरकार पर इसके लिए जल्दी समाधान निकालने का दबाव होता है।
प्याज की कीमतों में उतार-चढ़ाव के कारण
कीमतों में उतार-चढ़ाव प्रमुख रूप से तब होता है जब डिमांड और सप्लाई में असमानता होती है। यह असमानता अलग अलग कारणों से हो सकती है जैसे की कृषि आदानों का गलत उपयोग, खराब मौसम, कम भंडारण सुविधाएं, महंगा ट्रांसपोर्ट , आदि। 2021 में इन सभी कारकों ने भारत की प्याज सप्लाई को प्रभावित किया था।
प्याज एक खरीफ फसल है और ज्यादातर महाराष्ट्र में उगाई जाती है, इसके बाद कर्नाटक का स्थान आता है। 2021 में कर्नाटक और महाराष्ट्र में भारी वर्षा के कारण, बड़े पैमाने पर फसल को नुकसान हुआ था। इस फसल को सितंबर 2021 के बाद बाजार में खरीदा जाना था। अगर चीजें योजना के अनुसार होतीं, तो इस फसल से बाजार की जरूरतों को पूरा करने में मदद मिलती। महाराष्ट्र से खरीफ की अगली फसल अक्टूबर के अंत में आने वाली थी।
सितंबर 2021 में भारी बारिश ने केवल कर्नाटक में ही नफसलों को नुकसान नहीं पहुंचाया, बल्कि मध्य प्रदेश और गुजरात में रखे हुए प्याज को भी प्रभावित किया था। महाराष्ट्र के अहमदनगर, नासिक और पुणे के प्याज भंडारण में पानी चला गया । महाराष्ट्र के किसानों को 50-60% तक भंडारण नुक्सान का सामना करना पड़ा, जो कि उनके सामान्य भंडारण नुकसान 30-40% से अधिक है।
इस अचानक से आई बारिश और भंडारण किए गए प्याज के नुक्सान के कारण प्याज की कीमतों में इजाफा हुआ। कृषि अधिकारियों ने यह भी कहा कि यूरिया के ज्यादा प्रयोग के कारण 2021 में प्याज की शेल्फ लाइफ कम थी। पेट्रोलियम की बढ़ती कीमतों से ट्रांसपोर्ट लागत भी बढ़ी और ट्रांसपोर्ट भी कीमतों के उतार-चढ़ाव हुआ था।
इसके बाद सरकार ने महसूस किया कि प्याज का उत्पादन बढ़ाने की जरूरत है। इससे ज्यादा प्याज की उपलब्धता सुनिश्चित होगी। इससे कीमतों में उतार-चढ़ाव को नियंत्रित रखने में मदद मिलेगी और भविष्य में पारंपरिक प्याज उगाने वाले राज्यों में किसी भी प्राकृतिक आपदा की स्थिति में बफर स्टॉक बनाने में मदद मिलेगी।
प्याज उत्पादन बढ़ाने के लिए सरकार द्वारा उठाए गए कदम:
भारत में तीन मुख्य प्याज उगाने वाले मौसम हैं – ‘खरीफ’, ‘लेट खरीफ’ और ‘रबी’। आप इसके बारे में हमारा पिछला ब्लॉग पढ़ सकते हैं। ‘रबी’ की फसल में नमी की मात्रा तीनों में सबसे कम होती है क्योंकि इसकी कटाई गर्मी के महीनों में की जाती है। इससे किसानों के लिए भंडारण करना आसान हो जाता है। इस फसल का उपयोग अगली फसल की कटाई तक मंडियों की आवश्यकता को पूरा करने के लिए किया जाता है। भारत खपत से ज्यादा प्याज का उत्पादन करता है। हालांकि, हमारे देश में उत्पादन बढ़ाने की क्षमता है, और यह बढ़ती आबादी और विदेशी मांग को पूरा करने के लिए आवश्यक है।
प्याज उत्पादन (Onion Production) के लिये बढ़ता हुआ क्षेत्र
10 भारतीय राज्य देश की खपत और निर्यात कि आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए प्याज उगा रहे हैं। अप्रैल 2021 में भी भारत सरकार ने उत्पादन बढ़ाने के महत्व को समझा। इस दिशा में एक कदम उठाते हुए अप्रैल 2021 में केंद्र सरकार ने पांच प्याज उगाने वाले राज्य (राजस्थान, हरियाणा, मध्य प्रदेश, गुजरात और उत्तर प्रदेश) को प्याज उत्पादन क्षेत्र बढ़ाने के लिए कहा। सरकार ने इन राज्यों से कीमतों में उतार-चढ़ाव को रोकने के लिए खरीफ सीजन में फसल के तहत बोए गए क्षेत्र को 9,900 हेक्टेयर बढ़ाने के लिए कहा।
वर्ष 2020-21 के दौरान गैर-पारंपरिक राज्यों के लगभग 41,081 हेक्टेयर क्षेत्र में प्याज की खेती हुई। इस साल, क्षेत्र को बढ़ाकर 51,000 हेक्टेयर कर दिया गया है।। ये हैं पांच राज्यों के आंकड़े:

भंडारण सुविधाओं में सुधार
भारत में प्याज को ज्यादातर हवादार भंडारण में संग्रहित किया जाता है, लेकिन नमी को नियंत्रित करना अभी भी एक चुनौती है। बड़े गोदामों में ऐसी सुविधाएं हैं, पर किसानों के पास ऐसी सुविधाएं नहीं हैं। देश में उपलब्ध अलग अलग भंडारण सुविधाओं के बारे में अधिक जानने के लिए हमारी पोस्ट पढ़ें। सरकार स्टॉक बनाए रखने के लिए हर साल ‘रबी’ प्याज की खरीद करती है पर खराब होने वाले सामानों को लंबे समय तक स्टोर करना संभव नहीं है। इसलिए एक अच्छी और वैज्ञानिक भंडारण सुविधाएं समय की मांग हैं। आईसीएआर के प्याज और लहसुन अनुसंधान निदेशालय, पुणे ने कम लागत वाली प्याज भंडारण संरचनाएं विकसित की हैं जिनकी भंडारण क्षमता 5-50 टन के बीच है और भंडारण नुकसान को 20-50% तक कम करने की क्षमता है। उन्होंने एक IoT संचालित समाधान भी बनाया है। हालांकि, उन्हें पूरे देश में व्यावसायिक रूप से लागू करने की आवश्यकता है। एग्रीटेक स्टार्टअप अब भंडारण की स्थिति को ट्रैक करने के लिए समाधान के साथ आगे आ रहे हैं । कोल्ड स्टोरेज नियंत्रित तापमान की स्थिति को बनाए रखने में मदद कर सकते हैं।
संपूर्ण एकीकृत मॉडल पर विचार
अच्छे प्याज उत्पादकता के लिए, पूरी प्याज सप्लाई चेन पर विचार किया जाना चाहिए। इसका अर्थ है पूर्व-कटाई के साथ-साथ कटाई के बाद की प्रक्रियाओं को देखना और उन्हें सुधारना। यहां तक कि किसानों को सही शिक्षा प्रदान करने के साथ-साथ प्याज की सही किस्मों जैसे अच्छे कृषि औजार और बेहतर ट्रांसपोर्ट जैसी प्रक्रियाएं भी बहुत बड़ा बदलाव ला सकती हैं।
निर्जलित प्याज पर ध्यान दें
निर्जलित प्याज में निवेश बढ़ाने की गुंजाइश है। इसकी लंबी शेल्फ लाइफ है और अधिक निर्यात क्षमता है। प्याज के चिप्स और प्याज पाउडर तैयार करने के लिए प्याज को निर्जलित किया जा सकता है। ताजा प्याज को डीहाइड्रेट करने से 3 से 4% तक की बर्बादी कम हो जाती है। भारतीय उपभोक्ताओं ने अतीत में दूध पाउडर, अदरक-लहसुन पेस्ट और फ्रोजन मटर को अपनाया है और अगर सही कोशिशें हों तो वह डीहाइड्रेट प्याज को भी अपनाएंगे।
हमें उम्मीद है कि आपको यह ब्लॉग जानकारीपूर्ण लगा होगा। अपना अनुभव हमें नीचे कमेंट करके बताएं। साथ ही, भविष्य में बीजक विशेषज्ञों के नए ब्लॉग के लिए हमारे साथ बने रहें। बीजक भारत का सबसे भरोसेमंद एग्रीट्रेडिंग ऐप है। यह देश भर के किसानों, वेरिफाइड खरीदारों (कमीशन एजेंट) और सप्लायर का बढ़ता हुआ नेटवर्क है। ऐप पर 150 से अधिक उत्पाद में दैनिक व्यापार होता है। बीजक एप को आप Google Playstore and Apple App Store से डाउनलोड कर सकते हैं। आप हमसे 8588998844 पर भी कॉल कर सकते हैं या हमें contact@bijak.in पर ईमेल कर सकते हैं।