भारतीय प्याज निर्यात: अपने अनोखे स्वाद की वजह से भारतीय प्याज विदेशों में भी प्रसिद्ध हैं। वर्ष 2020-21 में भारत ने ₹2,826.50 करोड़ मूल्य के 15 लाख मीट्रिक टन से अधिक प्याज निर्यात किए थे। हमारे पिछले आर्टिकल में बीजक की ऑपरेशन टीम के AVP, नवदीप व्यास ने कृषि मूल्य श्रृंखला के बारे में काफी विस्तार से बात की थी। आज वह हमें भारतीय प्याज निर्यात कारोबार की बारीकियों से रूबरू कराएंगे।
निर्यात-ग्रेड प्याज कैसे होते हैं?
भारतीय प्याज अपने तीखे स्वाद के लिए जानें जाते हैं। भारत में प्याज खरीफ और रबी सीजन में उगाए जाते हैं। खरीफ प्याज आमतौर पर जुलाई से अगस्त के बीच बोए जाते हैं और अक्टूबर से दिसंबर के बीच काटे जाते हैं। दूसरी ओर रबी प्याज दिसंबर से जनवरी के बीच उगाए जाते हैं और मार्च से अप्रैल के बीच गर्मी के महीनों में काटें जाते हैं। प्याज का लगभग 60% उत्पादन रबी सीजन में होता है। इन प्याज को खरीफ फसल के आने तक स्टोर कर लिया जाता है। इन्ही प्याज से घरेलू और निर्यात मांग को पूरा किया जाता है। आमतौर पर रबी प्याज को आसानी से स्टोर किया जा सकता है। साथ ही इन्हे निर्यात के लिए भी ज्यादा पसंद किया जाता है। ऐसा इसलिए क्योंकि रबी प्याज सूखे होते हैं और इन्हे रेल, सड़क या जहाज के माध्यम से आसानी से एक स्थान से दुसरे स्थान पर भेजा जा सकता है।
नवदीप कहते हैं, ”निर्यात क्वालिटी वाले प्याज लोकल सुपर मार्केट में मिलने वाले प्याज से काफी अलग होते हैं। “उदाहरण के लिए, आप लोकल मार्किट से जो प्याज खरीदते हैं उनमें छोटे-छोटे निशान होते हैं जो निर्यात क्वालिटी वाले प्याज में नहीं होते। निर्यात के लिए भेजें जाने वाले प्याज को आमतौर पर आकार के आधार पर वर्गीकृत किया जाता है। उनका व्यास (यानि कि डायमीटर) 65 मिमी से कम नहीं हो सकता है। ऐसा इसलिए क्योंकि प्याज को ट्रांसपोर्ट करते समय उसकी मात्रा और सिकुड़न क्षमता, दोनों कारको को ध्यान में रखा जाता है। मात्रा क्षमता का यहाँ मतलब है कि एक कंटेनर में कितने प्याज रखे जा सकते हैं। एक औसत कंटेनर 20 फीट लंबा होता है और वह 20 टन प्याज रखने की क्षमता रखता है। परिवहन के समय प्याज सिकुड़ते जरूर हैं। इसलिए वे जितने बड़े होंगे, उनके अच्छी स्थिति में पहुँचने की संभावना उतनी ही ज्यादा होगी।

निर्यात की जाने वाली सबसे प्रमुख किस्में सफेद प्याज, लाल प्याज, बैंगलोर रोज़, पोडिसु और कृष्णपुरम रोज़ हैं। पीले प्याज की कई किस्में जैसे कि सुप्रेक्स, ग्रैनेक्स 55, ग्रैनेक्स 429, अराद-एच, और टाना एफ1 यूरोपीय देशों को निर्यात की जाती हैं।
”निर्यात क्वालिटी वाले प्याज लोकल सुपर मार्केट में मिलने वाले प्याज से काफी अलग होते हैं। उदाहरण के लिए, आप लोकल मार्किट से जो प्याज खरीदते हैं उनमें छोटे-छोटे निशान होते हैं जो निर्यात क्वालिटी वाले प्याज में नहीं होते।”
प्याज निर्यात प्रक्रिया के मुख्य चरण
सामान्य प्याज निर्यात प्रक्रिया कुछ इस प्रकार होती है:


भारतीय प्याज के आयातक कौन है?
भारत, ताजे और सूखे दोनों तरह के प्याज दूसरे देशों को निर्यात करता है। हालांकि, देश से बाहर जाने वाले कुल प्याज में से लगभग 70% ताजे प्याज होते है। नवदीप कहते हैं, “बांग्लादेश हमारा सबसे बड़ा ग्राहक है जहाँ हमारा 30-35% प्याज निर्यात किया जाता है। “इसके बाद मलेशिया है जो हर साल ₹400 से ₹500 करोड़ तक के भारतीय प्याज का आयात करता है। संयुक्त अरब अमीरात ₹300 करोड़ मूल्य के प्याज के वार्षिक आयात के साथ तीसरे स्थान पर आता है। अन्य प्रमुख निर्यात गंतव्य श्रीलंका, इंडोनेशिया, नेपाल और सिंगापुर हैं। जब अरब देशों में निर्यात की बात आती है, तो हमारा सबसे बड़ा प्रतिस्पर्धी पाकिस्तान है। पाकिस्तान का मध्य पूर्वी देशों के साथ बेहतर सड़क संपर्क है।” नवदीप कहते हैं,
“प्याज निर्यात करने में जो सबसे बड़ी चुनौती आती है वो है दुसरे देशों के नियम और कानून। उदाहरण के लिए, अरब देशों में निर्यातकों को क्वालिटी सुनिश्चित करने वाले सिर्फ 16-17 लाइसेंस की आवश्यकता होती है। दूसरी ओर, यूरोपीय देशों में निर्यातकों को कम से कम 70 लाइसेंस दिखाने पड़ते हैं।”
भले ही यूएसए, कनाडा, यूके, जर्मनी और अन्य यूरोपीय देश बड़े पैमाने में प्याज का आयात करते हैं, सख्त क्वालिटी मानकों की वजह से भारत इन देशों को काफी कम मात्रा में प्याज पहुंचाता है। “इन देशो के नियम काफी कड़े हैं – उदाहरण के लिए, अगर उन्हें प्याज में एक छोटी सी खराबी भी दिख जाती है, तो वे पूरे कन्साइनमेंट को ही रिजेक्ट कर देते हैं। इसलिए भारतीय प्याज निर्यातक एशियाई और मध्य पूर्व देशों पर ज्यादा ध्यान देतें हैं।
भारतीय प्याज का सेवन कौन करता है?
भारत के मुख्य निर्यातक देशों में प्याज की मांग वहाँ पर बसे भारतीयों से आती है। बांग्लादेश के लोगों का खाना भी भारतीयों के जैसा होता है जिस वजह से वहां भी प्याज का सेवन ज्यादा होता है। कतर और संयुक्त अरब अमीरात में भी काफी भारतीय हैं। निर्यात किए गए प्याज का एक बड़ा हिस्सा इन देशों के HoReCa सेक्टर में जाता है।”

भारत के प्याज निर्यात में सुधार कैसे लाए?
सरकारी निर्यात नीतियां
भारत एक आरामदायक स्थिति में है। जितने प्याज हम इस्तेमाल करते हैं उससे कई ज्यादा प्याज का उत्पादन भी करते हैं। जब भी प्याज की कमी आती है, भारत सरकार या तो निर्यात कम कर देती है या बफर स्टॉक जारी कर देती है या फिर प्याज का आयात शुरू कर देती है। उदाहरण के लिए, 2019 में भारतीय सरकार ने बढ़ती प्याज की कीमत को स्थिर करने के लिए प्याज के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया था।
मौजूदा समय में सरकार घरेलू जरूरतें पूरी होने के बाद ही प्याज के निर्यात की अनुमति देती है। सरकार प्याज पर न्यूनतम निर्यात मूल्य (MEP) भी लगाती है। MEP उत्पादों की वह कीमत होती है जिससे कम कीमत में निर्यातक उनका निर्यात नहीं कर सकते हैं। इस मूल्य को सरकार कुछ चुनिंदा उत्पादों पर लागू करती है ताकि उनके घरेलू दाम और ना बढ़ें। ये उपाय जहाँ आम जनता के लिए फायदेमंद है, वहीं निर्यातकों पर इसका काफी बुरा प्रभाव पढ़ता है। इन्ही कारणों की वजह से एक स्थिर निर्यात नीति का होना जरुरी है।
“भारत एक आरामदायक स्थिति में है। जितने प्याज हम इस्तेमाल करते हैं उससे कई ज्यादा प्याज का उत्पादन भी करते हैं। जब भी प्याज की कमी आती है, भारत सरकार या तो निर्यात कम कर देती है या बफर स्टॉक जारी कर देती है या फिर प्याज का आयात शुरू कर देती है।”
पैदावार में सुधार
नवदीप कहते हैं, “भले ही पूरे विश्व में भारत प्याज का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक है, लेकिन भूमि के हिसाब से हमारे यहाँ प्याज की पैदावार काफी कम होती है”। उदाहरण के लिए, भारत का प्रति हेक्टेयर उत्पादन 17.13 टन है, जबकि चीन 21.97 टन प्रति हेक्टेयर और यूएस 56.39 टन प्रति हेक्टेयर उत्पादन करता है। प्रति हेक्टेयर उत्पादन के बढ़ने से हम निश्चित रूप से अधिक व्यवसाय कर सकते हैं।”
“उत्पादन बढ़ाने में एक सबसे बड़ी बाधा यह भी आती है कि औसत भारतीय किसानों में बुनियादी चीजों के ज्ञान की कमी है। जैसे कि कीटनाशक की मात्रा कितनी सही है, कोन सा उर्वरक सही है, आदि। इसी वजह से भारतीय किसान उपलब्ध संसाधनों का लाभ नहीं उठा पाते हैं। हालांकि इनकी तुलना में अमेरिकी प्याज कसानों को प्याज की खेती के विषय पर पूरा ज्ञान होता है। पिछले कुछ वर्षों में, एग्रीटेक स्टार्टअप ने किसानों को शिक्षित करने और उन्हें सस्ती दरों पर कृषि इनपुट प्रदान करने पर ध्यान केंद्रित किया है। इसलिए, हम आने वाले वर्षों में बेहतर प्याज की पैदावार की उम्मीद कर सकते हैं।”

आमने-सामने की बातचीत बढ़ाएँ
नवदीप कहते हैं, “एक और बात जो मैंने नोटिस की है वो यह है कि ज्यादातर भारतीय निर्यातक अपने ग्राहकों के साथ गुडविल बनाने पर कम ध्यान देते हैं। इसके बजाय वे दलालों और विश्वसनीय पार्टियों की सिफारिशों और LC यानि कि लेटर ऑफ क्रेडिट पर भरोसा करते हैं।” अगर कोई भारतीय कंपनी किसी विदेशी कंपनी को प्याज निर्यात करना चाहती है और उसके पास संसाधनों की कमी होती है, तो वे अपनी संपत्ति को गिरवी रखकर किसी स्थानीय बैंक से LC जारी करा लेती है। इसलिए ज्यादातर भारतीय निर्यातक LC पर ध्यान देते हैं। मैं कई निर्यातकों से मिला हूं जो वर्षों के व्यापार के बाद भी अपने ग्राहकों से आमने-सामने नहीं मिले हैं। वे कुछ दस्तावेजों के आधार पर ही व्यापार कर रहे हैं। हालांकि नकली LC से निर्यातक धोखा खा सकते है। ऐसे मामलों में वास्तव में पीड़ित होने वाले लोग कार्गो एजेंट और कमोडिटी सप्लायर होते हैं जो अपने भुगतान की प्रतीक्षा कर रहे होते हैं।”
“एक और बात जो मैंने नोटिस की है वो यह है कि ज्यादातर भारतीय निर्यातक अपने ग्राहकों के साथ गुडविल बनाने पर कम ध्यान देते हैं। इसके बजाय वे दलालों और विश्वसनीय पार्टियों की सिफारिशों और LC यानि कि लेटर ऑफ क्रेडिट पर भरोसा करते हैं।”
बेहतर भंडारण सुविधाएं
भारत के कुल प्याज उत्पादन का 60-65% घरेलू बाजार में खपत होता है और 15-20% निर्यात किया जाता है। हालांकि, कटाई के बाद ही कई प्याज के सड़ने और अंकुरित होने की वजह से 20-25% प्याज का नुकसान हो जाता है। इसके अलावा भंडारण के दौरान भी प्याज का 20-25% तक वजन कम हो जाता है। इसलिए प्याज को सही तरीके से स्टोर करना बहुत ही जरुरी होता है।

निर्यातकों के पास आमतौर पर अच्छी भंडारण सुविधाएं होती हैं। इनमें से कुछ सुविधाएं तो अंतरराष्ट्रीय रेटेलर द्वारा ही दी जाती है। हालांकि, भारत में प्याज के भंडारण को सुधारने की अभी भी काफी गुंजाइश है। ऐसा करने से प्याज की कीमतों में अस्थिरता काफी हद तक कम हो सकती है और निर्यात को भी बढ़ाया जा सकता है।
आशा करते हैं कि हम प्याज के निर्यात व्यवसाय पर थोड़ा प्रकाश डालने में सक्षम हुए होंगे। जितना अधिक आप कृषि क्षेत्र के विभिन्न हिस्सेदारों और उनके कार्यों के बारें में जानेंगे, उतना ही अपनी रसोई के काउंटर पर रखे हुए साधारण से प्याज की सराहना करेंगे।
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