भारत में उगाई जाने वाली सब्जियों में से प्याज एक बहुत ही महत्वपूर्ण सब्जी है। भारत में ही नहीं, प्याज का उपयोग पूरे देश में किया जाता है। प्याज की भारी घरेलू और अंतरराष्ट्रीय मांग को पूरा करने के लिए इसकी खेती साल में तीन बार की जाती है। हालांकि, खराब मौसम और महंगाई की वजह से प्याज की खेती करने में कई बाधाएँ भी आती हैं। इसके आलावा, प्याज के कीट और बीमारियाँ भी फसल को नुकसान पहुँचाती हैं।
आज हम प्याज की फसल को नुकसान पहुंचाने वाले 6 प्याज के कीट और बीमारियों के बारें में जानेंगे।
बैंगनी धब्बा रोग (Purple blotch disease)
प्याज में लगने वाला यह सबसे आम रोग है। इसकी शुरुआत अक्सर प्याज की पुरानी पत्तियों के किनारों से होती है। पहले यह धब्बे की तरह छोटे होते हैं और धीरे-धीरे इनका रंग बैंगनी होता जाता है। आगे चलकर पत्तों के किनारों का रंग पीला होने लगता है। जैसे-जैसे यह बढ़ता जाता है पत्ते मुरझाने लगते हैं और अंत में पौधा सूख जाता है। इसके कारण प्याज की उपज नहीं हो पाती है और फसल खराब हो जाती है। प्याज में यह रोग अल्टरनेरिया पोरी (फफूंद) के कारण होता है।
इन बैंगनी धब्बो को नियंत्रण में रखने के लिए रोग-मुक्त बीज/सेट का इस्तेमाल करना चाहिए। फसल उगाने के समय, वायु संचार बढ़ाने के लिए प्याज के बल्बों में उचित दूरी होनी चाहिए। नियमित निराई भी इस बीमारी से बचने में मदद करती है। इसी तरह, ऐसा माना जाता है कि प्याज को शुष्क मौसम में काटा जाना चाहिए ताकि पत्तियां हटाने से पहले उन्हें ठीक किया जा सके।

ग्रीवा विगलन (Cervical Rot)
प्याज में पाई जाने वाली यह बीमारी बोट्राइटिस आली नामक फंगस से होती है। आमतौर पर इसका प्रभाव सबसे पहले गर्दन पर दिखना शुरू होता है और धीरे-धीरे यह पूरे बल्ब में फैल जाती है। ऐसे प्याजों की शल्कियां नरम और भूरे रंग की हो जाती हैं। कुछ समय बाद घने भूरे रंग की फफूंदी का विकास होता है जिससे बल्बों पर कठोर, काले, क्रस्ट जैसी संरचनाएं बन जाती हैं। हालांकि फसल के काटने तक इस बीमारी का पता नहीं चल पाता है। लेकिन भंडारण के दौरान यह दिखाई देना शुरू हो जाती है।
अच्छी गुणवत्ता वाले बीजों के इस्तेमाल से ग्रीवा विगलन को रोका जा सकता है। इसी प्रकार फसल चक्रण, नाइट्रोजन के नियमित इस्तेमाल और फसलों को नियमित रूप से पानी देने से इस रोग से बचा जा सकता है। कटाई के समय ध्यान दें कि बल्ब सूखे हो और उनका भंडारण अच्छे से हो।

मृदुरोमिल आसिता (Downy mildew)
पेरेनोस्पोरा डिस्ट्रक्टर नामक फफूंद के कारण प्याज में यह बीमारी पैदा होती है। यह रोग पुराने पत्तों की सतह पर महीन, रोयेंदार, भूरे-सफेद रंग में विकसित होता है। फिर बीज और फूलों के हिस्सों को प्रभावित करने के बाद बल्बों को संक्रमित करता है।
इस बीमारी से बचने के लिए शुरुआत में ही स्वस्थ बीज और बल्ब चुनने चाहिए। साथ ही ध्यान देना चाहिए कि सिंचाई चक्रों के बीच पत्तियां सूखी हो। इसी तरह, नमी को रोकने के लिए पौधों के बीच उचित वायु प्रवाह होना चाहिए। साथ ही खेतों में उचित जल निकासी होनी चाहिए।

थ्रिप्स (Thrips)
थ्रिप्स प्याज में लगने वाले कीटों में बहुत आम है। यह आकार में इतने छोटे होते हैं कि इन्हें आसानी से देखा भी नहीं जा सकता है। थ्रिप्स पत्तो की सतह पर छेद करके और फिर उन पौधों की कोशिकाओं से रस निकालकर अपना पेट भरते हैं। इनके द्वारा पंचर किए हुए घाव सफेद या चांदी रंग के धब्बे बना देते हैं। जिससे पौधों की प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है और उनमें अन्य बीमारियों के आसार भी बढ़ जाते हैं। ये फसल की कटाई के बाद या फिर भंडारण के समय भी प्याज की गुणवत्ता को कम कर सकते हैं।
थ्रिप्स के संक्रमण को कम करने के लिए प्याज के चारों ओर मक्का या गेहूं जैसी बाधा फसल लगाई जानी चाहिए। समय-समय पर प्याज के पौधों का प्रयोगशाला परीक्षण होना चाहिए। थ्रिप्स की आबादी जब 30 थ्रिप्स/पौधे घनत्व को पार कर जाए तो कीटनाशकों का छिड़काव होना चाहिए। नाइट्रोजन के उपयोग को कम करने और फसल चक्रण से भी थ्रिप्स पर नियंत्रण पाया जा सकता है।

दीमक (Termite)
दीमक प्याज की फसल को सबसे ज्यादा नुकसान पहुँचती है। दीमक रेतीली या हल्की मिट्टी में उगने वाले प्याज के पौधों पर हमला करती है। ये पौधों की जड़ों और तनों को नुकसान पहुंचाती है। अकसर प्याज के खेतों के पास दीमक की पहाड़ियाँ बनी होती है जिसकी वजह से इसे मारना कठिन हो जाता है। दीमक बहुत तेजी से फैल सकती है और फसल को बहुत जल्दी नुकसान पहुंचा सकती है।
दीमक से बचने के लिए स्वस्थ ट्रांसप्लांट का इस्तेमाल करना चाहिए। साथ ही, अच्छी तरह से सींची हुई मिट्टी में बीज बोने चाहिए। उचित सिंचाई और फसल चक्रण से मिट्टी को पुनः पोषक तत्व मिल जाते हैं जिससे दीमक के हमलों को कम किया जा सकता है। इसी तरह, मिट्टी पर कार्बनिक पदार्थ या खेत के कचरे को फैलाने से भी दीमक पौधों पर हमला नहीं करती है।

कटवा (Aphid)
कटवा प्याज की तेज गंध से आकर्षित होते हैं। वे आमतौर पर प्याज के पौधे की पत्तियों पर या बल्बों पर रहते हैं। कटवा पौधों से रस चूसते हैं जिससे कभी-कभी वे मर भी जाते हैं और वायरस फैलाते हैं। इनमें तेजी से फैलने की क्षमता होती है। इनके संक्रमण से पौधे मुरझा कर पीले हो जाते हैं और फिर सूखने की वजह से खराब हो जाते हैं।
आमतौर पर कटवा को पक्षियों जैसे प्राकृतिक शिकारी रोक लेते हैं। इसके अलावा, कटवा से बचने के लिए, पौधों को अच्छी तरह से सिंचित और निषेचित रखें। फसलों का निरीक्षण करें और कटवा से पीड़ित पौधों को फैलने से पहले हटा दें और जला दें। नियमित निराई भी करें। प्याज के स्वास्थ्य पर ध्यान दें क्योंकि कटवा आमतौर पर उन पौधों पर हमला करते हैं जो मजबूत नहीं होते हैं।

जैसा की आपने देखा ये सारी प्याज के कीट और बीमारियाँ फसल के लिए कितने हानिकारक हैं। इनके कारण किसानों की मेहनत से उगाई फसल नष्ट हो जाती है। इन बीमारियों और कीटों से प्याज को बचाकर उनकी पैदावार को बढ़ाया जा सकता है। बेहतर पैदावार से मंडी में अच्छे और ज्यादा प्याज पहुंचेंगे, जिससे सीधे-सीधे किसान, कमीशन एजेंट और ग्राहक को एकसाथ फायदा होगा। बीजक ऐप किसान, कमीशन एजेंट और ग्राहक के लिए प्याज की ट्रेडिंग को पहले से बेहतर बना रहा है। बीजक भारत का सबसे भरोसेमंद एग्रीट्रेडिंग ऐप है। इसमें किसानों, खरीदारों (कमीशन एजेंटों) और सप्लायर का एक बढ़ता हुआ नेटवर्क है जो 150 से अधिक उत्पाद में रोजाना व्यापार करता है। बीजक का लक्ष्य है भारतीय व्यापारियों के लिए अधिक व्यापारिक अवसर पैदा करना। ऐप को आप Google Playstore और Apple App Store से डाउनलोड कर सकते हैं।