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मंडियों में अचानक क्यों महंगा हो गया नींबू?

मंडियों में अचानक क्यों महंगा हो गया नींबू?

मंडियों में अचानक क्यों महंगा हो गया नींबू?

भारत में आम लोग अभी पेट्रोल-डीजल, सीएनजी (CNG)-पीएनजी (PNG), रसोई गैस सिलेंडर, खाद्य तेल की बढ़ती कीमतों के झटके से उबर भी नहीं पाए थे कि अचानक से नींबू की कीमतों में आए उछाल ने नींद उड़ा दी। कीमतों के मामले में नींबू महंगे फलों को भी पीछे छोड़ 300 रुपये प्रति किलोग्राम तक पहुंच गई है। पिछले 44 सालों में नींबू के भाव पहली बार इतने महंगे हुए हैं।

क्यों उछली नींबू की कीमतें?

नींबू की पैदावार देश के गुजरात, महाराष्ट्र, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश और मध्य प्रदेश इन पांच राज्यों में मुख्य तौर पर होती है। जिनमें गुजरात अहम है। गुजरात में नींबू की फसल काफी अच्छी होती है। लेकिन पिछले साल गुजरात और महाराष्ट्र में आए ‘तौकते’ तूफान की वजह से नींबू की फसल को काफी नुकसान हुआ था। इस कारण गुजरात और महाराष्ट्र से नींबू ना के बराबर आ रहे हैं। साथ ही आंध्र प्रदेश से भी नींबू की सप्लाई कम हो गई है। नींबू के अचानक महंगा होने का कारण यही है। साथ ही साथ पेट्रोल डीजल की बढ़ती कीमतों का भी असर है।

अप्रैल महीने की शुरुआत में बढ़ते तापमान और त्योहारों (रमजान और नवरात्रि) की वजह से नींबू की मांग बढ़ी है। लेकिन नींबू की सप्लाई काफी कम है। नींबू की कीमत बढ़ने का एक कारण डिमांड और सप्लाई का ये अंतर भी है। डीजल महंगा होने से ट्रांसपोर्टेशन की लागत पर भी बुरा असर हुआ है।

नींबू के व्यापारियों का क्या कहना है?

नींबू खरीदने वाले लोगों की कमी होने से व्यापारी काफी परेशान हैं। दिल्ली की आज़ादपुर मंडी के नींबू के विक्रेता बताते हैं कि अच्छी क्वालिटी के नींबू की कीमत 250 रुपए किलो है। लोग बहुत कम खरीदारी कर रहे हैं। दुकानदारी आधे से भी कम हो गई है। 

देशभर नींबू की सप्लाई आंध्र प्रदेश से आती है। आंध्र प्रदेश के ईल्लूर और गुडूर मंडी से 40-45% नींबू की सप्लाई होती है। 10% सप्लाई तेलानी, राजमुंदरी मंडियों से होती है। ईल्लूर मंडी में 20 हजार से ज्यादा नींबू उत्पादन करने वाले किसान रजिस्टर्ड हैं। सामान्य सीजन में यहां से रोज 25 ट्रक (एक ट्रक में 21 टन) की सप्लाई पूरे देश में होती है। मगर अभी मुश्किल से 5 ट्रक ही निकल पा रहे हैं। 

गुजरात के जमालपुर दरवाजा बंद मार्केट के नींबू कारोबारी बताते हैं कि गुजरात में नींबू महाराष्ट्र, चेन्नई और कर्नाटक से भी आता है। गर्मी के मौसम में अहमदाबाद में ही रोजाना 150 टन नींबू की खपत हो जाती है, जबकि इस समय नींबू की आवक रोजाना 70 टन के आसपास ही है। कालूपुर सब्जी मंडी के व्यापारी ने बताया कि इस बार दक्षिण भारत से होने वाली नींबू का सप्लाई भी बहुत कम है। 

जयपुर की मुहाना मंडी में नींबू विक्रेता बताते है कि गर्मी बढ़ने के साथ ही रमजान और शादियों का सीजन शुरू होने की वजह नींबू की खपत बढ़ गई है। लेकिन डिमांड के हिसाब से नींबू की सप्लाई नहीं हो पा रही है। इसलिए किसान भी इस डिमांड का फायदा उठा नींबू के मनमाने दाम वसूल रहे हैं। 

एक विक्रेता का कहना है कि 500 से 1000 रुपये में 100 नींबू बेचना या खरीदना बहुत मुश्किल है। भारत की मंडियों में 1 अप्रैल 2022 को नींबू 240 रुपये प्रति किलो था। लेकिन अब एक किलो नींबू 300 रुपये प्रति किलो तक हो गया है।

आने वाले दिनों में नींबू की कीमतों का कैसा रहेगा हाल?

विशेषज्ञों की मानें तो नींबू के दाम बहुत लंबे समय तक आसमान पर नहीं रहेंगे लेकिन अभी डेढ़ से दो महीने तक राहत मिलने की उम्‍मीद नहीं है। नींबू की नई फसल (Lemon Crop) आने के बाद ही कीमतों में गिरावट देखी जा सकती है। गुजरात और महाराष्ट्र में जो नए पेड़ लगे होंगे उन्हें तैयार होने में भी अभी समय लगेगा। जिसकी वजह से इन राज्यों से आने वाले नींबू की कमी बाज़ार में रहेगी।   

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*डिस्क्लेमर: इस ब्लॉग पर प्रकाशित जानकारी केवल सामान्य सूचना उद्देश्यों के लिए है। यह ब्लॉग काफी रिसर्च के बाद तैयार किया गया है, फिर भी हम आपको यही सुझाव देंगे कि आप इसे किसी भी कानूनी या व्यावसायिक निर्णय के लिए आधार के रूप में उपयोग न करें। 

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